ज्यादा टेस्ट का अर्थ, कोरोना से बेहतर मुकाबला दरअसल कोरोना वायरस से मुकाबला करने का पहला पड़ाव है उन मरीज़ों को चिह्नित करना, जो इस जानलेवा वायरस के संक्रमण का शिकार हो चुके हैं। अमरीका, स्पेन, इटली औरफ़्रांस जैसे अपेक्षाकृत कम जनसंख्या वाले देशों में बड़े पैमाने पर नागरिकों जांच की जा रही है, ताकि कोरोना के संक्रमण के मरीज़ों का पता चल सके। दक्षिण कोरिया का उदाहरण सबसे सामने है, जहां बड़े पैमाने पर कोरोना संक्रमण के टेस्ट किए गए और हालात अब नियंत्रण में हैं।
क्या भारत में कोरोना संक्रमण के और टेस्ट की जरूरत है? भारत में पिछले दो महीने में जितने लोगों की जांच कोरोना वायरस के संक्रमण के लिए की गई, उतने लोगों की जांच दक्षिण कोरिया और इटली में दो हफ्ते से भी कम समय में की जा रही है। क्या इसका अर्थ यह है कि हमारे देश में कोरोना के संक्रमण की टेस्टिंग को लेकर गंभीरता का अभाव है? चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि कम टेस्टिंग का अर्थ यह नहीं है कि हम गंभीर नहीं हैं। कितनी टेस्टिंग की जानी चाहिए यह निम्न बातों पर निर्भर करता है –
भारत और अन्य देशों में किए गए टेस्ट की तुलना ICMR के अनुसार 8 अप्रैल तक भारत में कोरोना वायरस के संक्रमण की जांच के लिए 1,60,000 टेस्ट किए गए थे। क्या करीब 130 करोड़लोगों की जनसंख्या वाले देश में संक्रमण का पता करने के लिए किए गए इतने टेस्ट पर्याप्त हैं? आइए देखते हैं कि भारत से कहीं कम जनसंख्या वाले देशों में कितने टेस्ट किए गए।अमरीका में 22 लाख, स्पेन में 3 लाख, ईरान में 2 लाख और फ़्रांस में 2 लाख से ज़्यादा टेस्ट किए गए। क्या इन देशों के आंकड़ों को जानने के बाद ऐसा नहीं लगता कि भारत में और ज़्यादा लोगों की संक्रमण के लिए जांच की जानी चाहिए?
सोशल मीडिया यूजर्स की राय – भारत में होने चाहिए ज्यादा टेस्ट पत्रिका के आज के इंटरनेट पोल में भाग लेने वाले 91 प्रतिशत फेसबुक यूजर्स ने इस बात का समर्थन किया कि कोरोना वायरस के संक्रमण का टेस्ट ज्यादा लोगों पर किया जाना चाहिए, जबकि केवल 9 फीसदी लोगों की राय इसके विपरीत थी। ट्विटर पर भी करीब 91.4 प्रतिशत यूजर्स ने ज्यादा टेस्ट करने की बात का समर्थन किया, जबकि 5.6 फीसदी ने इसका विरोध किया।वहीं 3 प्रतिशत लोगों ने पता नहीं कहा। इंस्टाग्राम पर यूजर्स की राय कमोवेश यही रही और 89 फीसदी लोगों ने कहा कि ज्यादा टेस्ट होने चाहिए, जबकि 11 फीसदी यूजर्स की राय में कोरोना वायरस के संक्रमण की जांच करने के लिए और ज्यादा टेस्ट करना जरूरी नहीं है।