जमीन देने से स्थानीय लोगों ने किया इनकार
आपको बता दें कि मीडिया रिपोर्ट मे कहा गया है कि जमीन अधिग्रहण के मामले में स्थानीय समुदाय और जनजातीय लोग सरकार के विरोध में उतर आएं है। रिपोर्ट के मुताबिक पालघर जिले के करीब 70 प्रतिशत से अधिक जनजातीय गांव के लोगों ने बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए केंद्र सरकार को अपनी जमीन देने से इनकार कर दिया है। साथ ही इस क्षेत्र से होकर गुजरने वाली रेल परियोजना के खिलाफ एक व्यापक प्रदर्शन की भी तैयारी कर रहे हैं।
बुलेट ट्रेन पर बैठक से पहले किसानों के नेता को हिरासत में लेने पर गरमागरमी
2018 के अंत तक जमीन अधिग्रहण करने का लक्ष्य
आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की पहली हाई स्पीड रेल परियोजना के सपने को साकार करने के लिए 2018 के अंत तक जमीन अधिग्रहण करने का लक्ष्य रखा है। बता दें कि बुलेट ट्रेन कॉरिडोर की कुल लंबाई 508 किलोमीटर है। बुलेट ट्रेन की नींव प्रधानमंत्री मोदी ने बीते वर्ष गुजरात चुनाव से पूर्व अहमदाबाद में जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे के साथ रखी थी। हालांकि आधिकारिक काम की शुरूआत जनवरी 2019 में होना है। बता दें कि इस हाई स्पीड रेल कॉरिडोर का करीब 110 किलोमीटर का हिस्सा महाराष्ट्र के पालघर जिले से होकर गुजरता है।
समुद्र के नीचे 250 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से सरपट दौड़ेगी बुलेट ट्रेन
सरकार ने जताई उम्मीद, टाइमलाइन के भीतर शुरू होगा काम
गौरतलब है कि सरकार ने उम्मीद जताई है कि तय समयसीमा के अंदर ही बुलेट ट्रेन के लिए काम शुरू होगा। रेल मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में सरकार को विरोध झेलना पड़ रहा है लेकिन हमें उम्मीद है कि तय समयसीमा के अंदर ही काम शुरू होगा। उन्होंने कहा कि सरकार जमीन अधिग्रहण के लिए किसानों को सर्किल रेट से पांच गुणा अधिक रेट का ऑफर दे रही है। उन्होने बताया कि पालघर जिले के कुछ गावों में 200 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहण को लेकर गांव वाले विरोध कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इन गावों में अभी काफी विकास कार्य होना है। आरोप लगाते हुए अधिकारी ने कहा कि स्थानीय राजनेता अपनी राजनीति को चमकाने के लिए इस मुद्दे को जनबूझ कर हवा दे रहे हैं।