8वीं संतान सबसे पहले आपको भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के बारे में बताते हैं। इनका जन्म द्वापरयुग में उत्तर प्रदेश के मथुरा मेें हुआ था। यहां पर कन्हैया के मामा कंस ने आतंक मचाया हुआ था। कन्हैया के जन्म से पहले पहले ही कंस को आकाशवाणी के जरिये यह पता चल चुका था कि उसकी बहन देवकी और बहनोई वसुदेव की आठवीं संतान उसका वध करेगी।
सॉफ्ट हिंदुत्व की राह पर सोनिया गांधी, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर दिया भक्तों को शुभकामना संदेश इस आकाशवाणी को सुनने के बाद कंस ने अपनी बहन और बहनोई को कारावास में डाल दिया था। कंस ने इन दोनों के सात बच्चों को पैदा होते ही मार डाला था। हालांकि वसुदेव-देवकी की आठवीं संतान के रूप में पैदा हुए कृष्ण स्वयं भगवान विष्णु के अवतार थे, इसलिए पूरी परिस्थितियां उनके मुताबिक ढलती चली गईं।
8 तारीख को जन्म हिंदू कैलेंडर के मुताबिक भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद की अष्टमी (आठवें दिन) को हुआ था। यानी न केवल वह परिवार में आठवें नंबर की संतान थे, उनका जन्म भी आठ तारीख को हुआ था।
Krishna Janmashtami 2019 : इन मंदिरों से है भगवान श्रीकृष्ण का विशेष नाता रात्रि का 8वां मुहुर्त ऐतिहासिक रूप से श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद मास में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में रात्रि के आठवें मुहुर्त में 12 बजे हुआ था।
आठ रानियां भगवान श्रीकृष्ण के जीवन में 8 अंक का महत्व केवल इतना ही नहीं था। कहा जाता है कि श्रीकृष्ण ने 16 हजार स्त्रियों के साथ विवाह किया था, लेकिन उनकी रानियां केवल 8 ही थीं। इनका नाम रुक्मणी, सत्यभामा, जबावती, कालिंदी, मित्रवृंदा, नाग्नजिती, भद्रा और लक्ष्मणा है।