script6 साल पहले देश को शर्मसार कर गया था निर्भया कांड, सड़क से लेकर संसद तक मच गया था कोहराम | Story about Nirbhaya rape case on 6th Anniversary of Nirbhaya case | Patrika News

6 साल पहले देश को शर्मसार कर गया था निर्भया कांड, सड़क से लेकर संसद तक मच गया था कोहराम

locationनई दिल्लीPublished: Dec 16, 2018 12:46:41 pm

Submitted by:

Saif Ur Rehman

16 दिसबंर 2012 को देश को हिला देने वाला निर्भया कांड हुआ था। जिस केस के बाद सड़क से लेकर संसद तक आंदोलन चले थे।

Nirbahya case

6 साल पहले देश को शर्मसार कर गया था निर्भया कांड, सड़क से लेकर संसद तक मच गया था कोहराम

नई दिल्ली। अगर हम संवेदशील हैं तो हमें खबरें स्पर्श करती हैं हमारे दिल दिमाग को हिला देती हैं वरना तो आमतौर पर सामान्य सी प्रतिक्रिया होती है, लेकिन देश में एक खबर ऐसी आई जिसने पूरी देश को हिला दिया और वो तारीख थी।

16 दिसंबर 2012

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23 साल की निर्भया के लिए 16 दिंसबर की वो रात उसके लिए और उसके दोस्त के लिए सबसे खौफनाक रात थी । दोनों दोस्त साकेत से फिल्म देखकर घर लौट रहे थे लेकिन कोई सवारी उन्हें नहीं मिल रही थी। करीब साढे़ 9 बजे दोनों एक सफेद चार्टर बस में मुनिरका में द्वारका के लिए चढ़ जाते हैं। बस में ड्राइवर सहित 6 लोग मौजूद थे। निर्भया पर फब्तियां कसी जाती हैं। निर्भया के किरदार पर बस में बैठे लोग सवाल उठाते हैं। उसके वजूद पर सवाल उठते हैं। बहस होती है। निर्भया और उसके दोस्त के साथ मारपीट की जाती है। फिर निर्भया के साथ वे लोग रेप जैसे जघन्य अपराध को अंजाम देने की कोशिश करते हैं। उसके जिस्म को झलनी कर दिया जाता है। इस दौरान बस चलती रहती है।
उसके दोस्त ने विरोध किया तो इन लोगों ने उस पर लोहे की रॉड से हमला कर दिया। आरोपियों ने बारी-बारी से निर्भया के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया। इस सबके बाद उन्होंने जंग लगी लोहे की एक रॉड को निर्भया के शरीर में डाल दिया। इस हैवानियत से निर्भया की आंतें शरीर से बाहर निकल आईं।
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बलात्कार के बाद निर्भया और उसके दोस्त को बस से बाहर फेंक कर बस का ड्राइवर आगे बढ़ जाता है। बस वालों से राहगीरों से ऑटो वाले से उसका दोस्त मदद मांगता है लेकिन काफी देर बाद पुलिस उन्हें सफरजंग अस्पताल ले पहुंचती है। जिसे ही यह खबर मीडिया में आती है। हर संवेदनशील इंसान के रोंगटे खड़े कर देती है। प्रिंट मीडिया हो या फिर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया सभी ने इस खबर को देश की सबसे बड़ी खबर बना दिया। सोशल मीडिया पर निर्भाया केस के बारे में लिखा जाने लगा। आरोपियों को मृत्यृदंड की मांग होने लगी। संसद हिल गई। सड़कें जाम हो गई। दिल्ली से लेकर कोलकाता तक बस प्रदर्शन ही प्रदर्शन। लोगों में गुस्सा इतना था कि तस्वीरें से उस गुस्सों को महसूस किया जा सकता है। निर्भया की जिंदगी की दुआएं मांगी जाने लगी। संसद में जोर-शोर से मुद्दा उठाया गया। कुछ के तो देश को शर्मसार करने वाले इस कांड पर आसूं तक निकल आए।
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अस्पताल में भर्ती निर्भया की हालत दिन-ब-दिन बिगड़ती चली गई। घटना के 13 दिन बाद यानि 29 दिसंबर 2012 को सिंगापुर में इलाज के दौरान निर्भया इस बेदर्द दुनिया से रूखसत हो गई। इस घटना को लेकर पूरे देश में विरोध प्रदर्शन हुए।
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मामले में 6 लोगों को दोषी ठहराया गया। जिनमें एक नाबालिग भी शामिल था।निर्भया को इंसाफ दिलाने का मामला कोर्ट में विचाराधीन था कि एक आरोपी राम सिंह ने 11 मार्च 2013 को तिहाड़ जेल में फांसी लगाकर जान दे दी। जघन्य अपराध में शामिल नाबालिग दोषी को बाल सुधार गृह में तीन साल गुजारने के बाद 20 दिसंबर 2015 को छोड़ दिया गया। बाकी चार आरोपियों को 10 सितंबर 2013 को दोषी ठहराया। 13 सितंबर को सभी को फांसी की सजा सुनाई गई।
4 लोगों को फांसी की सजा सुनाई गई। नीडर, ‘निर्भया’ इस जहान से तो चली गई मगर समाज में महिलाओं के प्रति पुरुषों की सोच को एक बार फिर से उजागर कर गईं। ‘निर्भया’ मौत के बाद इस समाज में एक प्रश्नचिन्ह छोड़ गई कि हम औरतों को क्या लोग सिर्फ मांस का एक टुकड़ा ही समझते हैं ?
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