scriptकरगिल युद्ध में देरी से शामिल हुई थी वायुसेना, अटल सरकार के फैसले के पीछे यह था कारण | Story about operation safed sagar of Indian Air Force | Patrika News

करगिल युद्ध में देरी से शामिल हुई थी वायुसेना, अटल सरकार के फैसले के पीछे यह था कारण

locationनई दिल्लीPublished: Oct 08, 2018 12:20:50 pm

Submitted by:

Saif Ur Rehman

करगिल की जंग में वायुसेना की मदद देरी से ली गई

Kargil

वायुसेना की वीरगाथा: चोटी पर बैठे दुश्मनों को आसमानी रक्षकों ने किया था ढेर, जानें कैसे सफल हुआ था ‘ऑपरेशन सफेद सागर’

नई दिल्ली। आज वायुसेना अपना 86वां स्थापना दिवस मना रही है। 86वीं वर्षगांठ पर वायुसेना की वारगीथाओं की भी बात हो रही हैं। देश पर नाज करने के कई ऐतिहासिक लम्हें आए उनमें से एक था करगिल युद्ध। जिसमें हमारे देश के जवानों ने जी जान से लड़ते हुए कामयाबी हासिल की थी। पाकिस्तान के नापाक मंसूबों को नेस्तानाबूद करने में यूं तो सेना के सभी दल ने अहम भूमिका निभाई, लेकिन उसमें बड़ा योगदान था वायुसेना का। करगिल की जंग में वायुसेना की मदद देरी से ली गई। कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (सीसीएस) की कई बैठक होने के बाद बात नहीं बन पाई थी। फिर बात बनी लेकिन वह भी सीमित सीमा तक जाने की थी। ऑपरेशन ऐसे वक्त शुरू किया गया, जब ऊंचाई पर बैठकर पाकिस्तानी सैनिक भारतीय सेना के जवानों पर सीधा निशाना लगा रहे थे। तब एयरफोर्स ने दखल दिया और करगिल की चोटियों पर कब्जा जमाए पाकिस्ता की सेना पर हवाई हमले हुए। कहते हैं कि अगर ये ऑपरेशन न होता, तो करगिल की जीत मुश्किल थी।
Kargil
‘ऑपरेशन सफेद सागर’ का था बड़ा योगदान

वायुसेना ने भी अहम किरदार अदा किया था। थलसेना ने इस ऑपरेशन को नाम दिया था ‘ऑपरेशन विजय’ का। नौसेना के रोल को ‘ऑपरेशन तलवार’ कहा गया तो वायुसेना के ऑपरेशन को नाम दिया गया ‘ऑपरेशन सफेद सागर’। 11 मई 199 से वायुसेना की टुकड़ी ने थल सेना की मदद करनी शुरू की थी। लेकिन निर्देश दिए गए थे कि वायुसेना को आईबी या एलओसी के पार नहीं जाना। शुरू में लड़ाकू विमानों को थोड़ी दिक्कतें आई। ज्यादा ऊंचाई के चलते हेलिकॉप्टर और मिग भी स्ट्रिंगर मिसाइलों और एंटी एयरक्राफ्ट गन का निशाना बन रहे थे। 24 मई को कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी की बैठक में राजनीतिक नेतृत्व की स्वीकृति मिलते ही वायुसेना करगिल पहुंच गई। अटल सरकार ने वायुसेना को अग्रिम हमले की जिम्मेदारी दी। फिर वायुसेना ने ताबड़-तोड़ हमले करने शुरू कर दिए। शुरुआत में मिग-21 विमानों का उपयोग दुश्मन के ठिकानों की तस्वीर लेने के लिए किया गया, तो Mi-7 हेलिकॉप्टर्स सैनिकों को लाने-ले जाने, राशन-हथियार पहुंचाने और जख्मियों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने में मदद कर रहे थे। मिग-21, मिग 23, मिग-27, मिग-29, मिराज-2000 और जगुआर ने उन ऊंची चोटियों पर बम गिराए, जहां दुश्मनों के नापाक मंसूबे लिए सैनिकों ने कब्जा जमा लिया था। मिग-29 से कब्जा जमाए बैठे दुश्मन के ठिकानों पर आर-77 मिसाइलें दागी गईं थीं।
Kargil
दो महीने चला ऑपरेशन सफेद सागर
तीन चरणों में ये ऑपरेशन हुआ। इस ऑपरेशन में इजराइल ने भी मदद की। 60 दिन तक चलने वाले ‘ऑपरेशन सफेद सागर’ में एयरफोर्स के करीब 300 विमानों ने 6500 बार उड़ान भरी। लड़ाकू विमानों ने 1235 मिशन उड़ानें भरीं और 24 बड़े टारगेट को निशाना बनाया।
Kargil
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो