हम यहां बात कर रहे हैं दक्षिण गुजरात के कीम में रहने वाले शुभम पढियार के बारे में। मात्र नौ साल के शुभम को रस्सी से बांधकर रखना पड़ता है। ऐसा इसलिए क्योंकि उसे ये नहीं पता रहता कि वो कहां जा रहा है? इसी वजह से नौ साल के शुभम को उसके परिवारवालें बांधकर रखते हैं।
साल 2008 के अप्रैल महीने में जन्में शुभम को एक साल की उम्र में वॉकर से गिर जाने के कारण सिर में गंभीर चोट आई थी। जिसके बाद उसे मिर्गी के दौरे पडऩे लगे। शुभम जब चलने लगा तक उसकी ये दिक्कत सबके सामने खुलकर आई। शुभम के पिता देवजी परमार पेशे से ऑटोचालक है और मां गीताबहन हाउसवाइफ है। शुभम के माता-पिता उसकी इस बीमारी के चलते काफी परेशान रहते हैं।
गीताबहन का अपने बेटे के बारे में कहना है कि शुभम किसी को पहचान नहीं पाता है। उसे नींद में मिर्गी के दौरे आने लगते हैं। कभी भी उठ कर चलने लगता है लेकिन उसे घर वापस आना याद नहीं रहता है। इन्हीं कारणों के चलते शुभम को बांधकर रखना पड़ता है। शुभम की ये बीमारी मेडिकल सांइस के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है।
सूरत के बाल रोग विशेषज्ञ डा. दिगंत शास्त्री का ने कहा कि दिमाग में गांठ होने की वजह से मिर्गी के दौरे आ सकते है जिसका इलाज संभव है। शुभम की स्थिति इससे हटकर है। वो नॉन रिस्पोसिंव एपिलेप्सी से ग्रस्त है ऐसे में ऑपरेशन करने की संभावना नहीं है। खेल-कूद की उम्र में अपने बेटे को इस तरह से बांध कर रखना किसी भी मां-बाप के लिए काफी दर्दनाक है। शुभम को लेकर उसकी मां के पास रोने के अलावा और कोई उपाय नहीं है।