सतह-से-सतह पर मार करने वाली स्वदेशी बैलिस्टिक मिसाइल 'प्रहार' का सफल परीक्षण
गुरुवार को डीआरडीओ ने स्वदेशी तकनीक से विकसित सतह-से-सतह पर कम दूरी तक मार करने वाली एक बैलिस्टिक मिसाइल को भारी बारिश के बीच ओडिशा तट से परीक्षण किया गया।

नई दिल्ली। डीआरडीओ ने अपने तकनीकी क्षमता का प्रदर्शन एक बार फिर से गुरुवार को कर दिखाया है। गुरुवार को इसरो ने स्वदेशी तकनीक से विकसित सतह-से-सतह पर कम दूरी तक मार करने वाली एक बैलिस्टिक मिसाइल 'प्रहार' को भारी बारिश के बीच ओडिशा तट से परीक्षण किया गया। आधिकारिक रिपोर्ट के मुताबिक इस अत्याधुनिक मिसाइल का परीक्षण बालासोड़ के चांदीपुर समन्वित परीक्षण रेंज (आईटीआर) से दोपहर एक बजकर 35 मिनट पर किया गया। बता दें कि यह मिसाइल रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने विकसित की है। इस बैलिस्टिक मिसाइस को मोबाइल लांचर से भी दागी जा सकती है।
पांच गावों को कराया गया था खाली
आपको बता दें कि अधिकारियों ने कहा है कि यह मिसाइल हर मौसम में, हर क्षेत्र में अत्यधिक सटीक तरीके से अपने निशाने का साधने में सक्षम है। अधिकारियों ने आगे बताया कि मिसाइल के परीक्षण से पहले चांदीपुर स्थित लांच पैड संख्या 3 की दो किमी की परिधि में रहने वाले 4,494 लोगों को अस्थायी तौर पर वहां से हटाया गया। ताकि किसी भी विषम परिस्थितियों में जान-माल का कोई नुकसान न हो। जिला राजस्व विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि सुरक्षा उपायों के तहत पांच गांवों से इन लोगों को हटाया गया। परीक्षण के शीघ्र बाद आईटीआर अधिकारियों से इजाजत मिलने पर वे अपने घरों में लौट आएं।
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क्या है डीआरडीओ
आपको बता दें कि रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) भारत की रक्षा से जुड़े अनुसंधान कार्यों के लिये देश की अग्रणी संस्था है। यह संगठन भारतीय रक्षा मंत्रालय की एक आनुषांगिक ईकाई के रूप में काम करता है। इस संस्थान की स्थापना 1958 में भारतीय थल सेना एवं रक्षा विज्ञान संस्थान के तकनीकी विभाग के रूप में की गयी थी। वर्तमान में संस्थान की अपनी इक्यावन प्रयोगशालाएँ हैं जो इलेक्ट्रॉनिक्स, रक्षा उपकरण इत्यादि के क्षेत्र में अनुसंधान में रत हैं। पाँच हजार से अधिक वैज्ञानिक और पच्चीस हजार से भी अधिक तकनीकी कर्मचारी इस संस्था के संसाधन हैं। यहां राडार, प्रक्षेपास्त्र इत्यादि से संबंधित कई बड़ी परियोजनाएँ चल रही हैं।
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