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दरअसल, सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील ने मुख्य न्यायधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय खंडपीठ के सामने कहा कि इस विवाद में शिया वक्फ बोर्ड को दखल का कोई अधिकारी नहीं है। धवन ने कोर्ट से अनुरोध किया वह इस्माइल फारुखी केस के अंश को पुनर्विचार के लिए संविधान पीठ के पास भेज दिया जाए। वहीं, शिया वक्फ बोर्ड का कहना है कि बाबरी मस्जिद का निर्माण शिया मीर बाकी ने कराया था। उन्होंने कहा कि शिया वक्फ बोर्ड के पास उसका पूरा हक होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट में शिया वक्फ बोर्ड की ओर से पेश वकील ने कहा कि वह इस विवाद का निपटारा बेहद शांतिपूर्ण ढंग से चाहते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलों को ध्यान में रखते हुए 20 जुलाई को अगली सुनवाई की तारीख मुकर्रर की हैं
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उधर, उत्तर प्रदेश शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड का कहना है कि अयोध्या की इस विवादित भूमि पर कभी कोई मजिस्द थी ही नहीं। इसलिए वहां किसी मंस्जिद का निर्माण नहीं किया जाना चाहिए। बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने कहा कि यह भगवान राम की जन्मस्थली है। इसलिए वहां केवल राम मंदिर का निर्माण ही होना चाहिए। रिजवी ने यह भी कहा कि जो लोग बाबर से सहानुभूति रखते हैं, उनको आखिर में हार का मुंह देखना पड़ेगा।