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सुन्नी वक्फ बोर्ड के दावे पर सुप्रीम कोर्ट का सवाल, ताजमहल आपका है तो दस्तावेज दिखाएं

locationनई दिल्लीPublished: Apr 11, 2018 01:20:52 pm

Submitted by:

Shivani Singh

ताजमहल पर मालिकाना हक को लेकर जंग शुरू हो गई है। सुन्नी वक्फ बोर्ड दावा कर रहा है कि शाहजहां ने उनके पक्ष में ताजमहल का वक्फनामा किया था।

taj Mahal

नई दिल्ली। एक बार फिर प्यार की निशानी ताजमहल सुर्खियों में है। इस बार ताजमहल पर मालिकाना हक को लेकर जंग छिड़ी है। उत्तर प्रदेश में सुन्नी वक्फ बोर्ड ने मंगलवार को देश के सर्वेच्च न्यायाल में ताजमहल पर मालिकाना हक जताते हुए दावा किया है कि खुद मुगल बादशाह शाहजहां ने बोर्ड के पक्ष में इसका वक्फनामा किया था। वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में सबूत के तौर पर शाहजहां के दस्तखत वाले दस्तावेज दिखाने को कहा है।

सुप्रीम कोर्ट ने बोर्ड को एक हफ्ते में यह दस्तावेज पेश करने को कहा है। आपको बता दें कि ताजमहल के मालिकाना हक को लेकर सुन्नी वक्फ बोर्ड और आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) के बीच विवाद चल रहा है। दोनों ही ताजमहल पर अपना हक जता रहे हैं।

क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने?
कोर्ट ने सुन्नी वक्फ बोर्ड की ओर से डाली गई याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा, ‘मुगलकाल का अंत होने के साथ ही ताजमहल के साथ देश की अन्य ऐतिहासिक इमारतें अंग्रेजों को दे दी गई थी। वही, जब देश आजाद हुआ तो उसके बाद से यह स्मारक सरकार के पास है और एएसआई इसकी देखभाल कर रहा है।’ चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली बेंच ने कहा, ‘भारत में कौन यकीन करेगा कि ताजमहल वक्फ बोर्ड का है? ऐसे मसलों पर सुप्रीम कोर्ट का वक्त बर्बाद नहीं करना चाहिए।’

कोर्ट का सुन्नी वक्फ बोर्ड से सवाल
ताजमहल पर अपना दावा करने वाले वक्फ बोर्ड से कोर्ट ने कुछ सवाल पूछे हैं। चीफ जस्टिस ने वक्फ बोर्ड के वकील से सवाल किया, ‘शाहजहां ने वक्फनामे पर दस्तखत कैसे किए? वह तो जेल में बंद थे। वह हिरासत से ही ताजमहल देखते थे।’ बता दें कि बोर्ड की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट वीवी गिरी ने कोर्ट से कहा कि शाहजहां ने बोर्ड के पक्ष में ताजमहल का वक्फनामा तैयार करवाया था।

कोर्ट में पेश करें दस्तावेज
सुन्नी वक्फ बोर्ड की ओर से ताजमहल पर दावा करने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप हमें शाहजहां के दस्तखत वाले दस्तावेज दिखा दें। इस पर बोर्ड की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट वीवी गिरी ने इसके लिए कोर्ट से एक हफ्ते की मोहलत मांगी है।

सुप्रीम कोर्ट का स्टे

इससे पहले सुन्नी वक्फ बोर्ड ने जुलाई 2005 से ही ताजमहल पर अपना हक जाताते हुए आदेश जारी कर अपनी प्रॉपर्टी के तौर पर रजिस्टर करने को कहा था। वहीं, एएसआई ने इसके खिलाफ 2010 में सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। इस पर कोर्ट ने बोर्ड के फैसले पर स्टे लगा दिया था।

ताजमहल भारत सरकार का
वहीं आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने वक्फ बोर्ड की तरफ से ताजमहल पर मालिकाना हक जताने को गलत बताया है। एएसआई की ओर से पेश एडवोकेट एडीएन राव ने कहा, ‘वक्फ बोर्ड ने जैसा दावा किया है, वैसा कोई वक्फनामा नहीं है।’ एएसआई ने बताया कि 1858 की घोषणा के मुताबिक, आखिरी मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर से ली गई संपत्तियों का मालिकाना हक ब्रिटिश महारानी के पास चला गया था, जिसके बाद 1948 के कानून के तहत यह इमारतें अब भारत सरकार के पास हैं।

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