केन्द्रीय विद्युत प्राधिकरण के ईंधन प्रभाग के अनुसार 1660 मेगावाट बिजली उत्पादित कर रहे छबड़ा बिजलीघर की भट्टियां प्रतिदिन 10.36 टन कोयला खाती हैं। इस वजह से इस बिजलीघर में 30 दिन का कोयले का स्टॉक हर समय रखा जाता है लेकिन 12 नवबर को वहां सिर्फ 1.4 टन कोयला था। इसी तरह 1240 मेगावाट क्षमता के कोटा बिजलीघर को रोजाना 17.13 टन कोयला चाहिए लेकिन बिजलीघर के पास सिर्फ दो दिन लायक कोयला है। जहां तक सूरतगढ़ बिजलीघर का सवाल है तो उसके पास दस दिन का कोयला है लेकिन आपूर्ति में बाधा की वजह से वहां भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं।
मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ में हालात अधिक खराब
आधिकारिक जानकारी के अनुसार राजस्थान के बिजलीघरों के साथ ही कोयले के मामले में मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के 18 ताप बिजलीघरों की हालत और अधिक खराब है। छत्तीसगढ़ के दस में से सात बिजलीघरों को ेिेक्रटिकल व सुपर क्रिटिकल कैटेगरी में रखा गया है तो मध्यप्रदेश के आठ में से छह बिजलीघर क्रिटिकल व सुपर क्रिटिकल कैटेगरी में है। इसी तरह उत्तरप्रदेश के 13 में से सात बिजलीघर कोयला संकट से जूझ रहे हैं। प्रधिकरण के अनुसार देश के अन्य राज्यों के बिजलीघरों का भी यही हाल है। अभी देश के 112 बिजलीघरों में से 65 बिजलीघर ऐसे हैं जिनके पास मात्र चार से सात दिन का कोयला है और उन्हें कठिनाई से जूझ रहे बिजलीघरों की श्रेणी में रखा गया है।
आधिकारिक जानकारी के अनुसार राजस्थान के बिजलीघरों के साथ ही कोयले के मामले में मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के 18 ताप बिजलीघरों की हालत और अधिक खराब है। छत्तीसगढ़ के दस में से सात बिजलीघरों को ेिेक्रटिकल व सुपर क्रिटिकल कैटेगरी में रखा गया है तो मध्यप्रदेश के आठ में से छह बिजलीघर क्रिटिकल व सुपर क्रिटिकल कैटेगरी में है। इसी तरह उत्तरप्रदेश के 13 में से सात बिजलीघर कोयला संकट से जूझ रहे हैं। प्रधिकरण के अनुसार देश के अन्य राज्यों के बिजलीघरों का भी यही हाल है। अभी देश के 112 बिजलीघरों में से 65 बिजलीघर ऐसे हैं जिनके पास मात्र चार से सात दिन का कोयला है और उन्हें कठिनाई से जूझ रहे बिजलीघरों की श्रेणी में रखा गया है।
रेलवे रैक उपलब्धता में कमी है कारण
प्राधिकरण ने बिजलीघरों में आ रही कोयले की कमी के लिए रेलवे को जिम्मेदार ठहराया है। प्राधिकरण के अनुसार अभी जो 65 बिजलीघर कोयले की कमी का सामना कर रहे हैं, उसके पीछे रेलवे रैक की उपलब्धता में कमी है। खदानों से बिजलीघर तक कोयले की ढुलाई के लिए रेलवे मांग के मुताबिक रैक उपलब्ध नहीं करा रहा है। इसके अलावा आधा दर्जन निजी कोल कपनियां एग्रीमेंट के मुताबिक खदानों से कोयला नहीं दे रही हैं। प्राधिकरण सूत्रों के अनुसार क्रिटिकल कंडीशन से गुजर रहे बिजलीघरों को एक सप्ताह में कोयले की निर्बाध आपूर्ति शुरू नहीं हुई तो उनके आपात भंडार भी खाली हो जाएंगे, जिससे उनकी चिमनियां भी ठंडी पड़ सकती है।
प्राधिकरण ने बिजलीघरों में आ रही कोयले की कमी के लिए रेलवे को जिम्मेदार ठहराया है। प्राधिकरण के अनुसार अभी जो 65 बिजलीघर कोयले की कमी का सामना कर रहे हैं, उसके पीछे रेलवे रैक की उपलब्धता में कमी है। खदानों से बिजलीघर तक कोयले की ढुलाई के लिए रेलवे मांग के मुताबिक रैक उपलब्ध नहीं करा रहा है। इसके अलावा आधा दर्जन निजी कोल कपनियां एग्रीमेंट के मुताबिक खदानों से कोयला नहीं दे रही हैं। प्राधिकरण सूत्रों के अनुसार क्रिटिकल कंडीशन से गुजर रहे बिजलीघरों को एक सप्ताह में कोयले की निर्बाध आपूर्ति शुरू नहीं हुई तो उनके आपात भंडार भी खाली हो जाएंगे, जिससे उनकी चिमनियां भी ठंडी पड़ सकती है।