राज्य सरकार और हाईकोर्ट को नोटिस
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि वह किस तरीके से सुनवाई दो साल (अप्रैल-2019) के तय वक्त में पूरी करेंगे। कोर्ट ने यादव की अर्जी पर योगी सरकार के अलावा इलाहाबाद हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार को भी नोटिस जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने सीलबंद लिफाफे में जवाबी हलफनामा दायर करने को कहा है।
सुनवाई के चक्कर में रूकी जज की पदोन्नति
बता दें कि गत एक जून को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जजों के स्थानांतरण और पदोन्नति की अधिसूचना निकाली थी। इसमें विशेष न्यायाधीश सुरेन्द्र कुमार यादव का पदोन्नति के साथ-साथ स्थानांतरण किया गया था। उन्हें बदायूं का जिला और सत्र न्यायाधीश नियुक्त किया गया था, लेकिन उसी दिन एक और अधिसूचना निकाली गई और उसमें उनका स्थानांतरण और प्रमोशन अगले आदेश तक निरस्त कर दी गई।
जज ने कोर्ट में अपने करियर की दलील
याचिकाकर्ता का कहना है कि वह आठ जून, 1990 को मुंसिफ मजिस्ट्रेट नियुक्त हुए थे। अठाईस साल का उनका बेदाग करियर है। उन्होंने ईमानदारी और निष्ठा से काम किया है। अब वह अपनी सेवा पूरी कर सेवानिवृत्ति के मुकाम पर पहुंचने वाले हैं। उनके साथ नियुक्त हुए सहयोगी और कनिष्ठ जिला न्यायाधीश तक पहुंच चुके हैं, लेकिन उनकी पदोन्नति को नकार दिया गया है। वह अब भी अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश (अयोध्या प्रकरण) पद पर काम कर रहे हैं।