कोर्ट ने केंद्र सरकार को सीबीआइ, एनआइए, इडी, एनसीबी आदि केंद्रीय एजेंसियों के कार्यालयों में सीसीटीवी कैमरे और रेकॉर्डिंग उपकरण लगाने का भी निर्देश दिया।
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कोर्ट ने यह निर्देश परमवीर सिंह द्वारा दायर याचिका का निपटारा करते हुए दिए। याचिका में मांग की गई थी कि पुलिस थानों में कैमरे लगाए जाएं और बयानों की ऑडियो-वीडियो रेकॉर्डिंग की जाए।
नाइट विजन कैमरे हों
कोर्ट ने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाए कि पुलिस थाने का कोई हिस्सा कैमरे की जद से छूटना नहीं चाहिए। सभी प्रवेश और निकासी स्थानों पर कैमरे लगे होना चाहिए। वॉशरूम और शौचालय के बाहर भी कैमरा होना चाहिए। थाने के सामने और पिछले हिस्से में भी नाइट विजन वाले कैमरे हों। इनमें ऑडियो भी होना चाहिए।
18 महीने का फुटेज स्टोर किया जाए
– जिन क्षेत्रों में बिजली या इंटरनेट नहीं है, वहां राज्य सरकार सौर, पवन ऊर्जा सहित बिजली उपकरण प्रदान करे।
– कैमरे से साफ और स्पष्ट तस्वीरें दिखाई देनी चाहिए।
– ऐसा सर्वर या स्टोरेज सिस्टम होना चाहिए, जिसमें 18 महीने की फुटेज स्टोर हो सके।
– हर थाने में कैमरा चालू रहने और उसके रख-रखाव की जिम्मेदारी एसएचओ की होगी।
2018 में दिया था कोर्ट ने आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में बढ़ती हिरासत यातना के मामले से निपटने और थानों में मानवाधिकार उल्लंघन रोकने के लिए देश के हर थाने में सीसीटीवी कैमरे लगाने का निर्देश दिया था, लेकिन इस आदेश को अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका है।
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2018 के आदेश की पालना को लेकर कई राज्यों ने पिछली सुनवाई में हलफनामा दायर कर सुप्रीम कोर्ट को बताया था उनके राज्य के कितने थानों में कैमरे लग चुके हैं। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने कहा था कि हम कैमरे को लेकर विस्तृत आदेश जारी करेंगे।