विविध भारत

परिवार नियंत्रण पर कोई फैसला देने से शीर्ष अदालत ने किया मना, कहा नीतिगत मामला

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को यह कह कर याचिका खारिज कर दी कि यह एक नीतिगत मामला है और अदालत इस मामले में हस्तक्षेप नहीं कर सकती।

Mar 09, 2018 / 06:06 pm

Mazkoor

नई दिल्ली : सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिकाकर्ता पृथ्वीराज चौहान ने 12 फरवरी को दो बच्चे की नीति को अनिवार्य करने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को यह कह कर याचिका खारिज कर दी कि यह एक नीतिगत मामला है और अदालत इस मामले में हस्तक्षेप नहीं कर सकती।

परिवार नियोजन को बढ़ावा देने के लिए लगाया था याचिका
याचिकाकर्ता की याचिका में यह भी कहा गया था कि केंद्र सरकार को परिवार नियोजन को बढ़ावा देना चाहिए। इसके लिए देश के लोगों को अधिकतम दो बच्चे पैदा करने की नीति का पालन करने के लिए प्रेरित करने के लिए ऐसे सभी उपायों को अपनाना चाहिए। याचिका में कहा गया था कि लगातार बढ़ती जनसंख्‍या को देखते हुए दो-बच्चो की नीति को अनिवार्य करने का कदम उठाना बेहद जरूरी हो गया है। हम दो हमारे दो की नीति के तहत केंद्र सरकार को हर जरूरी उपाय करने चाहिए। हालांकि कोर्ट ने इस मामले में हस्तक्षेप करने से सीधे मना कर दिया।

चीन ने भी वापस ले ली थी एक बच्‍चे की पॉलिसी
मालूम हो कि बढ़ती आबादी के मद्देनजर चीन ने भी ऐसी कोशिश की थी। उसने 1979 में एक-बच्चे की नीति को लागू किया था। लेकिन जब उसने पाया कि इस नीति की वजह से चीन में लिंगानुपात में असंतुलन पैदा हो रहा है और लड़कों की तादाद ज्‍यादा बढ़ रही है। इसके अलावा उसने यह भी पाया कि परिवार नियोजन नीति के कारण 2017 में चीन में बच्चों के जन्म लेने की संख्या में लगभग 630,000 गिरावट दर्ज हुई। इससे उम्रदराज लोगों संख्‍या नवजवानों की संख्‍या में ज्‍यादा बढ़ गई। इस पर संतुलन बनाए रखने के लिए चीन ने साल 2016 में अपनी एक-बच्चे की नीति को निरस्त कर दिया था।
मालूम हो कि दो बच्चों की नीति परिवार नियंत्रण (छोटा परिवार खुशी परिवार) की पॉलिसी है, जो माता-पिता को अपने परिवार को दो बच्चों तक सीमित करने के लिए प्रोत्साहित करती है।

Home / Miscellenous India / परिवार नियंत्रण पर कोई फैसला देने से शीर्ष अदालत ने किया मना, कहा नीतिगत मामला

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.