इस मामले में जस्टिस आरएफ नरीमन और एस रवींद्र भट की पीठ ने रिवर्स ओसमोसिस ( RO ) मैन्युफैक्चरर्स से कहा कि वे केंद्र सरकार से संपर्क करें। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने RO कंपनियों को 10 दिन का समय दिया है। सरकार कहा है कि इस मुद्दे पर आरओ मैन्युफैक्चरर्स से बात करे और अधिसूचना पारित करने से पहले इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करे।
47 साल बाद ओम बिरला ने बनाया नया रिकॉर्ड, लोकसभा में पूछे गए प्रश्नकाल के सभी सवाल बता दें कि वॉटर क्वालिटी इंडिया एसोसिएशन (Water Quality India Association) ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में याचिका दायर कर दिल्ली में आरओ फिल्टर के उपयोग पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के प्रतिबंध हटाने की मांग की थी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एनजीटी की ओर से आरओ पर लगाई गई रोक में कोई कमी नजर नहीं आ रही है। इसलिए इस रोक को जारी रखा जाएगा। इस मुद्दे पर हुई सुनवाई के दौरान एसोसिएशन की ओर से बताया गया है कि राष्ट्रीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) की रिपोर्ट देखने से पता चलता है कि दिल्ली का पानी पीने लायक नहीं है। कोर्ट के सामने तथ्य रखे गए कि आरओ का इस्तेमाल न होने से लोग बीमार पड़ रहे हैं।
अनधिकृत कॉलोनियों के 40 लाख लोग तय करेंगे दिल्ली में किसकी बनेगी सरकार दरअसल, मई-2019 में एनजीटी ने पर्यावरण मंत्रालय को आरओ फिल्टर के निर्माण और बिक्री के लिए नियमों को फ्रेम करने का निर्देश दिया था। उन क्षेत्रों में आरओ के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया था जहां पानी में टीडीएस 500 मिलीग्राम प्रति लीटर से नीचे था। ट्रिब्यूनल ने आरओ निर्माताओं को यह सुनिश्चित करने का भी आदेश दिया था कि 60 फीसदी से अधिक पानी इस प्रक्रिया में उपयोग में आए। बता दें कि आरओ की वर्तमान प्रणाली लगभग 80 फीसदी पानी बेकार चला जाता है।