सुप्रीम कोर्ट ने दोटूक कहा कि अगर हाईकोर्ट इस दौरान सुनवाई पूरी नहीं कर पाता तो फिर उस अंतरिम याचिका पर सुनवाई की जाए जिसमें टोल एग्रीमेंट को रद्द करने की मांग की गई है।
नई दिल्ली। दिल्ली-नोएडा-दिल्ली (डीएनडी) टोल के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट को तीन महीने में सुनवाई पूरी कर फैसला सुनाने का निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने दोटूक कहा कि अगर हाईकोर्ट इस दौरान सुनवाई पूरी नहीं कर पाता तो फिर उस अंतरिम याचिका पर सुनवाई की जाए जिसमें टोल एग्रीमेंट को रद्द करने की मांग की गई है।
गौरतलब है कि फेडरेशन आफ नोएडा रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट में डीएनडी टोल को रद्द करने की मांग की है। एसोसिएशन ने कहा है कि यहां गैरकानूनी तरीके से टोल वसूला जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट में फोनरवा ने की मांग थी कि जब तक इलाहाबाद हाईकोर्ट से याचिका पर कोई अंतिम फैसला नही आ जाता, तब तक टोल वसूली पर अंतरिम रोक लगा दी जाए।
डीएनडी पर जनता से हो रही टोल वसूली के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट को निर्देश है कि तीन महीने में सुलझाएं याचिका सुप्रीम कोर्ट ने इस बाबत इलाहाबाद हाईकोर्ट को निर्देश दिया है कि वह अगले तीन महीनों के दौरान याचिका पर कोई फैसला ले। सुप्रीम कोर्ट में फोनरवा ने की मांग थी कि जब तक इलाहाबाद हाईकोर्ट से उसकी जनहित याचिका पर कोई अंतिम फैसला नही आ जाता, तब तक के लिए टोल वसूली पर अंतरिम रोक लगाई जानी चाहिए।
फोनरवा ने नोएडा प्राधिकरण व नोएडा टोल ब्रिज कंपनी के बीच हुए करार को रद कर डीएनडी को टोल फ्री करने की जनहित याचिका इलाहाबाद हाईकोर्ट मे दायर कर रखा है। वर्ष 2012 मे दायर की गई इस याचिका पर अभी तक कोई अंतिम फैसला नहीं आ सका है।
फैसले मे देरी होते देख फोनरवा ने तीन बार इलाहाबाद हाईकोर्ट से अंतिम फैसला न आने तक टोल वसूली पर अंतरिम रोक लगाने की मांग की थी, लेकिन तीनों ही बार हाईकोर्ट ने फोनरवा की इस मांग को ठुकरा दिया। इसके बाद अब फोनरवा ने अपनी इस मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट की दहलीज पर दस्तक दी थी। फोनरवा की एसएलपी (स्पेशल लीव पिटिशन) को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए मंजूर कर लिया था।