दरअसल, मीट और चमड़े के निर्यात पर बैन लगाने की मांग वाली एक याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह ऐसा कोई आदेश नहीं दे सकता कि हर आदमी शाकाहारी बन जाए। जस्टिस मदन बी लोकुर ने याचिकाकर्ता के वकील से पूछा कि क्या आप यह चाहते हैं कि देश में हर शख्स शाकाहारी हो जाए? इसके बाद कोर्ट ने मामले पर सुनवाई को फरवरी, 2019 तक के लिए स्थगित कर दिया है।
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश ने ये बात हाल ही में शिवसेना और एक अन्य हिंदू संगठन द्वारा गुरुग्राम में 400 मांस और चिकन की दुकानों को बंद करने के लिए बल का इस्तेमाल करने के बावजूद कही। इन संगठनों ने प्रशासन से मांग की थी कि नवरात्रि के दौरान दुकानों को बंद कर दिया जाए। लेकिन प्रशासन की ओर से ऐसा आदेश जारी नहीं करने के बाद हिंदू संगठनों ने मीट व चिकन की दुकानों को बंद कराने के लिए बल प्रयोग किया था।
हिंदू संगठनों के पदाधिकारियों का इस मामले में कहना है कि हमने प्रशासन से अनुरोध किया था कि गुरुग्राम में मांस की दुकानों को नवरात्रि के दौरान बंद किया जाना चाहिए। लेकिन प्रशासन ने कोई नोटिस नहीं लिया। इसलिए हमें इन दुकानों को बंद करने के लिए सड़कों पर उतरना पड़ा। हम लोगों से दुकानों को बंद करने का अनुरोध कर रहे हैं। इसके बावजूद वो दुकान नहीं बंद करेंगे तो हम उन्हें दुकानों को बंद करने के लिए मजबूर करेंगे।