वजह संतोषजनक है तो खारिज न करें
इस मामले में पीठ ने कहा, ‘अगर दावे में देरी की वजह को संतोषजनक तरीके से स्पष्ट कर दिया जाता है तो ऐसे दावे देरी के आधार पर खारिज नहीं किए जा सकते हैं। यहां यह भी कह देना जरूरी है कि पहले से सत्यापित और जांचकर्ता द्वारा सही पाए जा चुके दावों को खारिज करना उचित एवं तर्कसंगत नहीं है।”
न्यायालय ने कहा कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम उपभोक्ता हितों की रक्षा के लिए है। उसने कहा, ‘यह एक लाभदायक कानून है और इसके अनुपालन में उदारता होनी चाहिए। इस अधिनियम के तहत किए गए दावों की सुनवाई करते हुए यह प्रशंसनीय तथ्य नहीं भूलना चाहिए। न्यायालय ने कहा कि कोई व्यक्ति जिसका वाहन खो गया हो वह दावा करने के लिए सीधा बीमा कंपनी नहीं जा सकता है। वह संभव है कि पहले अपना वाहन खोजने की कोशिश करे। न्यायालय ने कहा, “यह सच है कि वाहन मालिक को चोरी के तुरंत बाद बीमा कंपनी को अवगत कराना चाहिए। हालांकि, इस शर्त को सही दावों को निपटाने में अनिवार्य नहीं होना चाहिए। खासकर तब जब दावा करने या सूचित करने में देरी की वजह कुछ ऐसी हो जिसे टाला ही नहीं जा सकता है। दावे को खारिज करने का बीमा कंपनी का निर्णय वैध आधार पर ही होना चाहिए।”
इस मामले में पीठ ने कहा, ‘अगर दावे में देरी की वजह को संतोषजनक तरीके से स्पष्ट कर दिया जाता है तो ऐसे दावे देरी के आधार पर खारिज नहीं किए जा सकते हैं। यहां यह भी कह देना जरूरी है कि पहले से सत्यापित और जांचकर्ता द्वारा सही पाए जा चुके दावों को खारिज करना उचित एवं तर्कसंगत नहीं है।”
न्यायालय ने कहा कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम उपभोक्ता हितों की रक्षा के लिए है। उसने कहा, ‘यह एक लाभदायक कानून है और इसके अनुपालन में उदारता होनी चाहिए। इस अधिनियम के तहत किए गए दावों की सुनवाई करते हुए यह प्रशंसनीय तथ्य नहीं भूलना चाहिए। न्यायालय ने कहा कि कोई व्यक्ति जिसका वाहन खो गया हो वह दावा करने के लिए सीधा बीमा कंपनी नहीं जा सकता है। वह संभव है कि पहले अपना वाहन खोजने की कोशिश करे। न्यायालय ने कहा, “यह सच है कि वाहन मालिक को चोरी के तुरंत बाद बीमा कंपनी को अवगत कराना चाहिए। हालांकि, इस शर्त को सही दावों को निपटाने में अनिवार्य नहीं होना चाहिए। खासकर तब जब दावा करने या सूचित करने में देरी की वजह कुछ ऐसी हो जिसे टाला ही नहीं जा सकता है। दावे को खारिज करने का बीमा कंपनी का निर्णय वैध आधार पर ही होना चाहिए।”