दुर्घटना पीड़ितों की मदद करने वाले अब नहीं होंगे बेवजह परेशान
Published: Mar 30, 2016 01:55:00 pm
शीर्ष अदालत द्वारा नियुक्त समिति ने शराब पीकर या तेज गति में वाहन
चलाने, लाल बत्ती पार करने वालों के खिलाफ
कड़ी कार्रवाई का भी सुझाव दिया
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने सड़क दुर्घटनाओं के पीडित लोगों की मदद करने वाले नेक लोगों को बेवजह परेशान किए जाने से बचाने के लिए बुधवार को इस संदर्भ में केंद्र के दिशा निर्देशों को मंजूरी दे दी।
न्यायमूर्ति वी गोपाल गौड़ा और न्यायमूर्ति अरुण कुमार मिश्रा की पीठ ने केंद्र सरकार को इन दिशा निर्देशों का व्यापक प्रचार प्रसार करने का आदेश दिया, ताकि मुसीबत के समय दूसरों की मदद करने वाले नेक लोगों को कोई अधिकारी प्रताडित न कर पाए। पीठ ने इस माह की शुरूआत में कहा था कि वह सड़क सुरक्षा पर एक पूर्व न्यायाधीश के एस राधाकृष्णन की अध्यक्षता में बनी तीन-सदस्यीय समिति की सिफारिशों पर एक आदेश पारित करेगी।
इन सिफारिशों में कहा गया था कि सड़क दुर्घटनाओं के पीडितों की जिंदगी बचाने वाले लोगों को पुलिस या अन्य अधिकारियों द्वारा प्रताड़ित किए जाने से डरने की जरूरत नहीं है। पीठ ने सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा लाए गए दिशा निर्देशों को भी इसमें शामिल किया। ये दिशा निर्देश संबंधित समिति की सिफारिशों पर आधारित थे। समिति के अन्य सदस्य थे- सड़क परिवहन मंत्रालय के पूर्व सचिव एस सुंदर और पूर्व प्रमुख वैज्ञानिक निशी मित्तल।
समिति ने राज्य सड़क सुरक्षा परिषदें गठित करने, अंधियारे स्थानों की पहचान का प्रोटोकॉल विकसित करने, उन्हें हटाने और उठाए जाने वाले कदमों के प्रभाव की निगरानी आदि की सिफारिशें की थी। शीर्ष अदालत द्वारा नियुक्त की गई समिति ने शराब पीकर या तेज गति में वाहन चलाने, लाल बत्ती पार करने और हेल्मेट या सीट बेल्ट के नियम तोडऩे के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का भी सुझाव दिया था।