एससी-एसटी एक्ट मामले में सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस आदर्श गोयल और जस्टिस ललित की बेंच ने अपने फैसले में कहा था कि उत्पीड़न से संबंधित मामले में गिरफ्तारी से पहले पुलिस के उच्च अधिकारियों से इजाजत लेने और आरोपी को अग्रिम जमानत देने का निर्देश दिया था । इसके खिलाफ केंद्र सरकार और अन्य कई पुनर्विचार याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दायर हो गई थीं। लेकिन जस्टिस गोयल के रिटायर होने के बाद पुनर्विचार याचिका की सुनवाई के लिए अब जस्टिस यूयू ललित के साथ नए बेंच का गठन होना है।
इस फैसले से इतर केंद्र सरकार ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब दाखिल कर एससी-एसटी एक्ट में तुरंत गिरफ्तारी का प्रावधान जोड़ने के फैसले का बचाव किया था। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा था कि अब भी भेदभाव की घटनाएं हो रही है और अधिकारों से वंचित किया जाता है, ऐसे में एससी-एसटी के दुरुपयोग के चलते कानून रद्द कर देना गलत है। केंद्र सरकार ने ये भी कहा था कि कानून में बदलाव का मकसद राजनीतिक लाभ नहीं है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। वहीं याचिकाकर्ता ने कानून के अमल पर रोक लगाने की मांग की थी।