यह था मामला सुप्रीम कोर्ट ने गैर सरकारी संगठन शक्ति वाहिनी द्वारा खाप पंचायत के खिलाफ दायर याचिका पर फैसला देते हुए कहा की खाप द्वारा बार-बार इस तरह की घटनाओं में शामिल होना गंभीर मामला है। बता दें कि इस याचिका में ऑनर किलिंग को खत्म करने के लिए केंद्र व राज्य सरकार से मांग की गई है । आज कोर्ट को यह तय करना था कि खाप या इस तरह की किसी अन्य व्यवस्था को लेकर कानून आने तक कोई अंतरिम दिशा निर्देश जारी किया जा सकता है या नहीं।
समाज की ठेकेदार न बने खाप बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने ऑनर किलिंग के नाम पर कानून अपने हाथ में लेने वाला खाप पंचायतों पर कड़ी टिप्पणी की थी। साथ ही शीर्ष अदालत ने केंद्र से ऐसे जोड़ों की सुरक्षा सुनिश्चित कराने का आदेश दिया था। अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने खाप पंचायतों से यह भी कहा कि वे ‘खुद को जमीर का रखवाला’ घोषित नहीं कर सकते । इस देश में संविधान का कानून चलता है । देश में कानून और ऐसे मामलों को देखने के लिए अदालते हैं।
सरकार का पक्ष केंद्र सरकार ने कोर्ट में कहा कि फिलहाल कोर्ट सभी राज्यों को हर जिले में ऑनर किलिंग को रोकने के लिए स्पेशल सेल बनाने के निर्देश जारी करे। अगर कोई युगल शादी करना चाहता है और उसे जान का खतरा है तो राज्य उनके बयान दर्ज कर कार्रवाई करे। इससे पहले ऑनर किलिंग मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि ऑनर किलिंग को IPC में हत्या के अपराध के अन्तर्गत रखा जाता है। बता दें की ऑनर किलिंग को लेकर लॉ कमिशन की सिफारिशों पर इस समय सरकार विचार कर रही है। केंद्र सरकार का कहना है की इस पर 23 राज्यों के विचार मिले चुके हैं।