गौरतलब है कि जनवरी में जम्मू के शोपियां में विरोध कर रहे नागरिकों पर काबू पाने के लिए सेना ने फायरिंग कर दी थी। इस फायरिंग में तीन नागरिकों की मौत भी हो गई थी। घटना के बाद जम्मू पुलिस ने 10 गढ़वाल रेजिमेंट के मेजर आदित्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर दी थी।
मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार को फरवरी माह में एक नोटिस भी दिया था कि वो दो सप्ताह के भीतर इस पर अपनी राय स्पष्ट करें। मेजर आदित्य के पिता ने याचिका में कहा है कि जम्मू में 27 जनवरी को हुई फायरिंग की घटना का इरादा नागरिकों को नुकसान पहुंचाना नहीं था बल्कि वहां पर आतंकियों के खिलाफ हो रही कार्रवाई से भीड़ को दूर रखना था। ऐसे में मेजर आदित्य के खिलाफ एफआईआर करना उनके मौलिक अधिकारों का हनन करना है। साथ ही ले.कर्नल सिंह ने कहा कि इस तरह की एफआईआर से उन सैनिकों का मनोबल भी कम होगा जो देश की शांति के लिए खराब हालातों में शिद्दत से अपना फर्ज निभाते हैं।
वहीं सुप्रीम कोर्ट ने ये भी फैसला था कि मेजर आदित्य के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर पर कोई कठोर कदम नहीं उठाया जाएगा। अब देखना ये है आज सुप्रीम मामले पर क्या फैसला देती है।
गौरतलब है कि जम्मू कश्मीर पुलिस ने मेजर आदित्य और उनकी यूनिट के खिलाफ धारा 302 के तहत एफआईआर दर्ज की है, जिस पर एससी आज अपना फैसला सुनाएगी।