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प्रदूषण मामले पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, साफ हवा प्रदान नहीं कर सकते, क्यों न लोगों को मुआवजा दिया जाए

Published: Nov 26, 2019 08:00:54 am

Submitted by:

Navyavesh Navrahi

कोर्ट ने कहा- लगता है अपनी प्राथमिकता भूल गए हैं अधिकारी
जीवन के अधिकार की रक्षा का समय आ गया है
राज्य की मशीनरी को भी बदलने का समय

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देश में वायु प्रदूषण के मुद्दे पर एक अभूतपूर्व कदम उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नोटिस जारी किया और छह सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा है। कोर्ट ने कहा कि क्या उन्हें स्वच्छ हवा प्रदान नहीं करने के लिए लोगों को मुआवजा देने के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिए।
अधिकारियों ने खो दी है प्राथमिकता

तीन घंटे की सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और दीपक गुप्ता की पीठ ने कहा, “वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) कई शहरों और कस्बों में बेहद खराब है। हमें यह भी जानना होगा कि वे कचरा प्रबंधन कैसे कर रहे हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि इन मुद्दों के लिए अधिकारियों ने प्राथमिकताएं खो दी हैं।”
जीवन के अधिकार की रक्षा का समय: पीठ

पीठ ने कई शहरों और कस्बों में स्वच्छ पेयजल की अनुपलब्धता के मुद्दे पर भी ध्यान आकृष्ट किया। अदालत ने कहा कि- “यमुना नदी सीवेज में बदल गई है। गंगा नदी भी उसी स्थिति में है। जल प्रदूषण एक प्रमुख मुद्दा है।” न्यायाधीश मिश्रा ने कहा, “हमने ध्यान दिया है कि हर वर्ष और साल-दर-साल स्थिति बिगड़ती जा रही है। जीवन के अधिकार की रक्षा के लिए समय आ गया है। उन्हें (राज्य प्रशासन) वायु प्रदूषण व कचरा निस्तारण आदि पर मुआवजा क्यों नहीं देना चाहिए। राज्य की मशीनरी को फिर से बदलने का समय आ गया है।” शीर्ष अदालत ने माना कि दिल्ली देश के छह सबसे प्रदूषित शहरों में से एक है और इनमें से तीन शहर उत्तर प्रदेश में स्थित हैं।
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