एससी-एसटी एक्ट के खिलाफ दायर की गई याचिका में मांग की गई है कि इस एक्ट में बदलाव के बाद जो नियम तय किए गए हैं, उनपर रोक लगाई जाए। हालांकि इसको लेकर कोर्ट कह चुका है कि सरकार का पक्ष सुने बिना कानून के अमल पर रोक नहीं लगाई जा सकती। आज जस्टिस एके सिकरी और जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली बेंच इस मामले की सुनवाई करेगी। दरअसल, पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर 6 हफ्ते में जवाब मांगा था।
सुप्रीम कोर्ट में एससी-एसटी एक्ट के खिलाफ वकील प्रिया शर्मा, पृथ्वी राज चौहान और एक एनजीओ ने याचिका दाखिल की है। याचिका में सुप्रीम कोर्ट के 20 मार्च के फैसले को निष्प्रभावी बनाने के केंद्र सरकार के एससी-एसटी संशोधन कानून 2018 को चुनौती दी गई है। साथ ही याचिका में एससी-एसटी एक्ट में तत्काल गिरफ्तारी पर रोक को बहाल करने की मांग की गई है।
याचिका में कहा गया है कि सरकार का नया कानून असंवैधानिक है क्योंकि सरकार ने सेक्शन 18ए के जरिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले को निष्प्रभावी बनाया है जोकि गलत है और सरकार के इस नए कानून आने से अब बेगुनाह लोगों को फिर से फंसाया जाएगा। याचिका में ये भी कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट सरकार के नए कानून को असंवैधानिक करार दे और जब तक ये याचिका सुप्रीम कोर्ट में लंबित रहे, तब तक कोर्ट नए कानून के अमल पर रोक लगाए।