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सुप्रीम कोर्ट ट्रिपल तलाक पर मंगलवार को सुनाएगा फैसला

locationनई दिल्लीPublished: Aug 21, 2017 10:52:00 pm

Submitted by:

Rahul Chauhan

संविधान बेंच ने पिछले 11 मई से छह दिनों तक ट्रिपल तलाक की संवैधानिकता पर सुनवाई की थी। कोर्ट ने 18 मई को फैसला सुरक्षित रख लिया था।

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ट्रिपल तलाक पर कल फैसला

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान बेंच ट्रिपल तलाक पर फैसला सुनाएगा। चीफ जस्टिस जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली इस बेंच में जस्टिस आर एफ नरीमन, जस्टिस जोसेफ कुरियन, जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस अब्दुल नजीर शामिल हैं। कोर्ट ने 18 मई को फैसला सुरक्षित रख लिया था। संविधान बेंच ने पिछले 11 मई से छह दिनों तक ट्रिपल तलाक की संवैधानिकता पर सुनवाई की थी। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा था कि कोर्ट पर्सनल लॉ में दखल नहीं दे सकता सरकार चाहे तो कानून बना सकती है बोर्ड ने कहा था कि निकाहनामा में ट्रिपल तलाक का ना कहने का विकल्प मिलेगा जिसके लिए वे काजियों को एडवाइजरी जारी कर रहे हैं। इस पर कोर्ट ने कहा कि इस बारे में आप कोर्ट में हलफनामा दाखिल करें जिसके बाद बोर्ड ने इस संबंध में हलफनामा दायर किया था।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने बोर्ड से पूछा था कि कोई परंपरा जो शास्त्रों में पाप है परंपरा में कैसे कायम रह सकती है। सुप्रीम कोर्ट का सहयोग कर रहे वरिष्ठ वकील सलमान खुर्शीद से कोर्ट ने पूछा कि आपने स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत शादी की है तो क्या आपने मुसलमान होने का हक खो दिया। सलमान खुर्शीद ने जवाब दिया कि मैं अभी भी मुस्लिम हूं। लेकिन चूंकि मैंने सिविल लॉ चुना है इसलिए मुस्लिम पर्सनल लॉ मेरे ऊपर लागू नहीं होगा।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता फरहा फैज ने कहा था कि ये एक राजनीतिक विभाजन है और इसका इस्लाम से कोई लेना देना नहीं है। अब समय आ गया है कि धर्म के ठेकेदारों के चंगुल से मुक्त हुआ जाए और कुरान और शरीयत के मुताबिक चला जाए। पूर्व अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने इस दलील का विरोध किया था कि ट्रिपल तलाक की अनुमति दी जानी चाहिए क्योंकि यह सदियों से चला आ रहा है। उन्होंने कहा कि तलाक निश्चित रुप से इस्लाम का एक जरुरी हिस्सा नहीं था और कोर्ट में इसे जारी रखने की अनुमति नहीं दी जा सकती कि वो चौदह सौ साल पुरानी परंपरा है।
वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जय सिंह ने अपना जवाब देते हुए कहा था कि कोर्ट के रोल पर चर्चा हो कि क्या कोर्ट धारा 32 के तहत इस पर फैसला कर सकता है। हमें ये जवाब देना है कि कानून क्या है। ट्रिपल तलाक धारा 13 के तहत आता है और ये मौलिक अधिकार की परिधि में है। कपिल सिब्बल ने ट्रिपल तलाक की वकालत करते हुए कहा था कि ये चौदह सौ सालों से परंपरा चली आ रही है। उन्होंने कहा कि सभी धर्मों में भेदभाव है ऐसे में केवल तीन तलाक पर ही रोक की बात क्यों हो रही है। उन्होंने कहा था कि जब राम का अयोध्या में जन्म पर विश्वास किया जाता है तो फिर संविधान को बीच में लाने की क्या जरूरत है।
सुप्रीम कोर्ट ने कपिल सिब्बल से पूछा कि अगर व्हाट्सएप पर तलाक दिया जाता है तो क्या वह इस्लाम में मान्य है। कपिल सिब्बल ने कहा था कि केंद्र कह रही है कि अगर सुप्रीम कोर्ट तलाक के तीनों रुपों पर रोक लगाती है तो वो कानून बनाएगी। लेकिन अगर संसद ने कानून बनाने से मना कर दिया तब क्या होगा?
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