26 नवंबर 2008 की रात, अरासा अपने दो दोस्तों के साथ सिल्वर रंग की स्कोडा कार में सवार होकर अपने दोस्त से मिलने ऑबराय होटल जा रहे थे। रात के वक्त मुंबई सुनसान हो गई थी। मंत्रालय के पास कार सवारों ने एक पुलिस कार (टयोटा क्वालिस) आते हुए महसूस की। कार में से चिंगारियों उठ रही थीं। उन्हें लगा कार में पुलिस वाले हैं लेकिन पुलिस कार से कसाब और इस्माइल निकले। ये सीन किसी फिल्मी दृश्य से कम नहीं था। उस रात को याद करते हुए शरण अरासा बताते हैं कि उन्होंने (आतंकी) हमसे कार रोकने के लिए कहा, जिसके बाद मुझे लगा कि वह पुलिसकर्मी नहीं है। मैं ड्राईवर सीट से बाहर आ गया साथ ही मेरे दोस्त भी कार से बाहर कदम ले आए। आदत से मजबूर में कार का इंजन बंद कर चाभी अपने साथ लेकर कार से बाहर निकला”। 35 वर्षीय शरण अरासा ने उस खौफनाक लम्हें को याद करते हुए कहा, ” मैंने चाभी ली, जैसा मैं लेता हूं, मेरी तरफ उन्होंने बंदूक की नाल तान दी। उस वक्त, मैंने अपने दोस्त की तरफ देखा और दोनों को लगा कि आज तो मेरा अंत नजदीक है”। अरासा ने आगे कहा कि जैसा हर कोई कहता है कि जब कोई मौत को देखता है तो उसकी पूरी जिंदगी उसकी आंखों के सामने आ जाती है। लेकिन मेरी लिए ये धुंधली नजर आ रही थी। जब में चाभी उठा रहा था तब मेरा दिमाग सुन्न और खाली था”।
अरासा की नई स्कोडा कार जब कसाब और उसका सहयोगी ले गए, तब शरण को अपने पिता का चेहरा दिखाई देने लगा कि आखिर उन्हें कार खोने के बारे में बताना पड़ेगा। दस साल पहले की बुरी यादों को याद करते हुए अरासा ने बताया, “मुझे लगा कि कार खोने पर मेरे डैड मुझ पर काफी गुस्सा होने वाले हैं, वह कार हमने कुछ महीने पहले ही ली थी”। खुशकिस्मती से पुलिस बेरीकेडर की वजह से कुछ ही दूरी पर स्कोडा कार रूक गई। जिसके बाद शूटआउट हुआ। मुठभेड़ में इस्माइल मारा गया और कसाब जिंदा पकड़ा गया। इस दौरान कार पर कई गोलियों के निशाना बाकी रहे, बाद में कार पुलिस ने असारा को लौटा दी। शरण ने उस कार को 2013 तक इस्तेमाल किया। उनका कहना है कि जब मैंने अपनी कार को बेचने की योजना बनाई तो कई लोगों ने मुझे सुझाव दिए के नीलामी में कार बेचो लेकिन मैं ऐसे पैसा नहीं कमाना चाहता था। यह असंवेदनशील होता। इस आतंकी हमले के दौरान बचकर बाहर आए शरण ने इस घटना ने संवेदनशील बना दिया। उनमें काफी बदलाव आए।