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स्वामी विवेकानंद जयंती: आज भी प्रेरित करती हैं स्वामी जी की ये बातें

locationनई दिल्लीPublished: Jan 15, 2019 04:14:08 pm

Submitted by:

Navyavesh Navrahi

स्वामी जी ने अपने छोटे से जीवन में मानवता को जीने की नई राह दिखाई। उनके विचार आज भी युवाओं को प्रेरित करने वाले हैं।

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स्वामी विवेकानंद जयंती: आज भी प्रेरित करती हैं स्वामी जी की ये बातें

स्वामी विवेकानंद के विचार आज भी युवाओं के आंदोलित कर देते हैं। स्वामी जी का जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता में हुआ था। उनका नाम नरेंद्रनाथ दत्त था। उनके पिता विश्वनाथ दत्त पश्चिमी सभ्यता में विश्वास रखते थे। वे नरेंद्र को भी पाश्चात्य सभ्यता के ढंग पर ही चलाना चाहते थे।
जब उन्होंने रामकृष्ण परमहंस की प्रशंसा सुनी तो वे उनके पास तर्क करने के विचार से गए। किंतु परमहंस ने उन्हें देखते ही पहचान लिया कि इसी शिष्य का उन्हें इंतजार था। स्वामी जी के विचार आज भी प्रासंगिक हैं और युवाओं को प्रेरित करने वाले हैं। उनके विचार निराशा से निकालकर आशा से भरने वाले हैं…
उन्होंने कहा- ‘उठो और जागो और तब तक रुको नहीं जब तक कि तुम अपना लक्ष्य प्राप्त नहीं कर लेते। आप जो भी सोचेंगे, आप वही हो जाएंगे। अगर आप खुद को कमजोर सोचेंगे तो आप कमजोर बन जाएंगे। अगर आप सोचेंगे कि आप शक्तिशाली हैं तो आप शाक्तिशाली बन जाएंगे।‘
स्वामी जी के ऐसे विचार किसी को भी निराशा से बाहर निकालने के लिए सक्षम हैं।

उन्होंने यह भी कहा था:

– एक नायक की तरह जिएं। हमेशा कहें मुझे कोई डर नहीं, सबको यही कहें कोई डर नहीं रखो।
– ब्रह्मांड की सारी शक्तियां पहले से ही हमारे अंदर हैं। हम ही मूर्खतापूर्ण आचरण करते हैं, जो अपने हाथों से अपनी आंखों को ढंक लेते हैं और इसके बाद चिल्लाते हैं कि चारों तरफ अंधेरा है, कुछ नजर नहीं आ रहा है।
– एक विचार चुनिए और उस विचार को अपना जीवन बना लीजिए। उसी विचार के बारे में सोचें, उसी के सपने देखें। अपने दिमाग, अपने शरीर के हर अंग को उस विचार से भर लें। बाकी सारे विचार छोड़ दें। यही सफलता का रास्ता हैं।
शिक्षा के बारे में

शिक्षा के संबंध में भी स्वामी जी ने महत्वपूर्ण विचार दिए हैं। वे कहते थे शिक्षा का लक्ष्य मानव-निर्माण करना है। वे कहते हैं- ‘शिक्षा से मनुष्य का निर्माण किया जाता है। समस्त अध्ययनों का अन्तिम लक्ष्य मनुष्य का विकास करना है।‘
शिक्षा चरित्र निर्माण के लिए

स्वामी जी कहते हैं- ‘वही शिक्षा वास्तविक है, जो चरित्रवान स्त्री-पुरूष को तैयार कर सके, क्योंकि किसी भी राष्ट्र का विकास और उसकी सुरक्षा उसके चरित्रवान नागरिकों पर निर्भर है।’

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