…इसलिए बढ़ रहा है नकदी का संकट
– नवंबर 2016 में हुई नोटबंदी के ठीक पहले की तुलना में फिलहाल 45 हजार करोड़ रुपए ज्यादा करंसी ज्यादा प्रचलन में है।
– 2017-18 में एटीएम से नकदी निकासी पिछले सात सालों की तुलना में सबसे ज्यादा है।
– डिजिटल इंडिया को लेकर तेजी से प्रचार-प्रसार हो रहा है, लेकिन अभी भी 10 फीसदी से कम परिवार ही डिजिटल लेनदेन करते हैं।
ज्यादा नकद निकासी करने वालों पर नजर
कर विभाग की छापेमारी में कोई बहुत बड़ी रकम जब्त करने में तो सफलता नहीं मिली है, लेकिन माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में विभाग इस तरह के और कदम उठा सकता है। गौरतलब है कि देश के अधिकांश हिस्सों से दो-दो हजार के नोट लगभग गायब हो गए हैं। कर विभाग का पूरा ध्यान उन लोगों और कंपनियों पर है जिन्होंने हाल ही में बड़ी मात्रा में कैश विड्रॉल किया है। एटीएम ऑपरेशन से जुड़ी कंपनियों का कहना है कि फिलहाल उनका ध्यान 200 और 500 के नोटों की संख्या बढ़ाने पर है। हालांकि अभी नए नोटों के लिए एटीएम का सेटअप पर्याप्त नहीं है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, अकेले बिहार में एटीएम के जरिये करीब 800 से 900 करोड़ रुपए वितरित किए गए हैं, ताकि इस संकट से निपटा जा सके।
कर विभाग की छापेमारी में कोई बहुत बड़ी रकम जब्त करने में तो सफलता नहीं मिली है, लेकिन माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में विभाग इस तरह के और कदम उठा सकता है। गौरतलब है कि देश के अधिकांश हिस्सों से दो-दो हजार के नोट लगभग गायब हो गए हैं। कर विभाग का पूरा ध्यान उन लोगों और कंपनियों पर है जिन्होंने हाल ही में बड़ी मात्रा में कैश विड्रॉल किया है। एटीएम ऑपरेशन से जुड़ी कंपनियों का कहना है कि फिलहाल उनका ध्यान 200 और 500 के नोटों की संख्या बढ़ाने पर है। हालांकि अभी नए नोटों के लिए एटीएम का सेटअप पर्याप्त नहीं है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, अकेले बिहार में एटीएम के जरिये करीब 800 से 900 करोड़ रुपए वितरित किए गए हैं, ताकि इस संकट से निपटा जा सके।
चुनावी राज्यों में ज्यादा संकट
नकदी संकट का सबसे ज्यादा असर उन राज्यों में देखने को मिल रहा है, जहां आगामी कुछ समय में चुनाव होने हैं। इनमें कर्नाटक, मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्य खासतौर पर शामिल हैं। दक्षिण भारत के राज्यों में किए गए शुरुआती विश्लेषण के मुताबिक, बड़ी कंपनियां अपने प्रोजेक्ट्स से जुड़े लेनदेन चैक के जरिये कर रही हैं, जिसके चलते बैंकों से नकद निकासी बढ़ गई है।
नकदी संकट का सबसे ज्यादा असर उन राज्यों में देखने को मिल रहा है, जहां आगामी कुछ समय में चुनाव होने हैं। इनमें कर्नाटक, मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्य खासतौर पर शामिल हैं। दक्षिण भारत के राज्यों में किए गए शुरुआती विश्लेषण के मुताबिक, बड़ी कंपनियां अपने प्रोजेक्ट्स से जुड़े लेनदेन चैक के जरिये कर रही हैं, जिसके चलते बैंकों से नकद निकासी बढ़ गई है।