संचार मंत्री मनोज सिन्हा ने एक लिखित जवाब में कहा, डीओटी ने 1 दिसंबर 2017 को बजट प्रक्रिया के दौरान राजस्व विभाग को दूरसंचार सेवाओं पर 18 फीसदी की जगह पर 12 फीसदी जीएसटी लगाने की सिफारिश की है।
15 मिनट में बनने वाली कॉफी मोदी के लिए 2 मिनट में बन गई, कॉफी हाउस ने नहीं दिया बिल मंत्री ने आगे कहा कि 23 जून 2017 को भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने कहा था कि टीएसपी (दूरसंचार सेवा प्रदाताओं) के सुझाव के अनुरूप दूरसंचार क्षेत्र को बुनियादी ढांचा क्षेत्र के रूप में मान्यता देने और जीएसटी दरों में कटौती करने के सुझाव का ट्राई समर्थन करता है, क्योंकि यह दूरसंचार सेवा के उपभोक्ताओं के हित में होगा और डिजिटल इंडिया के लक्ष्य को साकार करने में मदद करेगा। दूरसंचार विभाग वित्त मंत्रालय से सक्रिय रूप से इन मुद्दों को उठा सकता है।
मालूम हो, सीबीआई की विशेष अदालत की ओर से 2जी घोटाले में घोटाले जैसा कुछ नहीं होने की घोषणा के बाद से ही देश की दूरसंचार कंपनियां सरकार पर आक्रामक हो रही हैं। हाल ही में आरकॉम के चेयरमैन अनिल अंबानी ने भी दूरसंचार सेवाओं को लगातार पैसा पीने वाला उद्योग बताते हुए कहा था कि इस उद्योग में वही टिक सकता है, जिसके पास अनगिनत पैसा हो।
ऐसे में माना जा रहा है कि दूरसंचार कंपनियों पर दबाव कम करने के लिए दूरसंचार विभाग के इस प्रस्ताव को जीएसटी काउंसिल में भेजा जा सकता है, ताकि काउंसिल पर निर्णय ले सके।