लेकिन फिल्म की सच्चाई और इतिहास की सच्चाई जानने की कोशिश की गई है। जो रानी पद्मावती के आस्तित्व पर ही सवाल खड़े कर देता है। दरअसल रानी पद्मावती को लेकर कोई एक सटीक सच्चाई नहीं है। कई तरह के लोग कई तरह की बातें कर रहे हैं। किसी जानकार का मानना है कि रानी पद्मावती का ज़िक्र सबसे पहले मोहम्मद ज़ायसी ने किया था। बताते चलें कि ज़ायसी एक जाने-माने रचयिता थे। तो वहीं मीरा शोध संस्थान के प्रो. सत्यनारायण समदानी की मानें तो जायसी से पहले भी रानी के बारे में लिखा जा चुका है। समदानी बताते हैं कि कवि हेतमदान की ‘गोरा बादल’ कविता से जायसी ने रानी पद्मावती के बारे में कुछ अहम अंश लिए थे।
प्रो. समदानी के मुताबिक ग्वालियर के कवि नारायणदास ने अपने हाथों से लिख कर ही ‘छिताई चरित’ की रचना की थी। माना जाता है कि इसकी रचना 1540 से पहले ही कर दी गई थी। मुगल शासक अलाउद्दीन खिलजी ने महाराष्ट्र में आने वाले देवगिरी पर आक्रमण कर दिया था और वह वहां की रानी को किसी भी हाल में पाना चाहता था।
बताया जाता है कि ज़ायसी ने सच्ची घटना के करीब 225 साल बाद ‘पद्मावत’ की रचना की थी। जानकार बताते हैं कि ज़ायसी ने अपनी रचना में सच्चाई के साथ-साथ काल्पनिक तथ्यों को भी जोड़ा था। जायसी ने अपनी रचना में लिखा था कि पद्मावती बेहद सुंदर थी। खिलजी उनके बारे में सुनते ही उन्हें देखने की इच्छा ज़ाहिर की थी। इसलिए उसने चित्तौड़ को घेर लिया। इसके लिए उसने रतन सिंह को संदेश भेजा कि उसे रानी से मिलना है। खिलजी ने रानी से न मिलने की स्थिती में हमले की धमकी दी थी। लेकिन रानी फिर भी नहीं मानीं और आखिर में जौहर कर लिया।
जौहर संस्था के चित्तौड़गढ़ के कर्नल रणधीर सिंह ने बताया कि संजय लीला भंसाली की फिल्म में खिलजी को एक हीरो के रुप में दिखाया गया है तो वहीं पद्मिनी को हीरोइन। इसी खींचतान में फिल्म में राजा रतनसिंह की सभी अहमियत को भंसाली ने अपनी फिल्म में खत्म कर दिया है। रणधीर ने बताया कि भंसाली ने ऐसे बदलाव करके ही इतिहास के साथ छेड़खानी की है। रणधीर ने फिल्म पर सवाल दागते हुए कहा कि आखिर एक हमलावर किसी भी फिल्म का हीरो कैसे बन सकता है।
इसके अलावा पद्मावती फिल्म में घूमर गाना भी है। जिसमें रानी पद्मावती का रोल कर रही दीपिका ने डांस भी किया है। इस गाने में वैसे तो बिल्कुल साधारण डांस ही किया गया है। लेकिन राजपूतों को रानी का ऐसा डांस बिल्कुल भी मंज़ूर नहीं है। इसे भी राजस्थानी संस्कृति के साथ रानी पद्मावती के इतिहास से बड़ी छेड़खानी मानी जा रही है।