हालांकि सरकार के सामने पेट्रोल पंप दवाई की दुकान खोलना एक बड़ी चुनौती होगी। वह इसलिए क्योंकि अधिकतर निजी दवाई की दुकानें बिना फार्मासिस्टों के चल रही हैं। ऐसे सरकार की सबसे बड़ी चुनौती यह होगी कि इन दवाई की दुकानों में एक काबिल फार्मासिस्टों की जरूरत होगी। सूत्रों का कहना है कि सरकार इस मामले में कोई लापरवाही नहीं बरत रही है। सरकार का कहना है कि इससे लोगों के लिए नौकरियों के विकल्प भी बढ़ेंगे। साथ ही सरकार का यह भी कहना है कि वह निजी दवाई की दुकानों जैसा रवैया नहीं अपना सकते। लेकिन अधिकारियों को भरोसा है कि वे जल्द ही इस समस्या का हल ढूंढ निकालेंगे। वहीं केंद्रीय मंत्रीय धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत सरकार ‘कॉमन सर्विस सेंटर’ की धारणा को लेकर पेट्रोल पंपों पर पैन और आधार कार्ड जारी करेंगे। साथ ही इन दवाई की दुकानों पर दैनिक सेवाओं के बिल पेमेंट, बैंकिंग जैसी सुविधाएं भी दी जाएंगी। प्रधान ने कहा कि ‘ऑयल मार्केटिंग कंपनियां पेट्रोल पंपों पर गैर-ईंधन इकोसिस्टम शुरू करने के लिए टाईअप करने जा रही हैं। वहीं, रसायन और उर्वरक मंत्रालय के डिपार्टमेंट ऑफ फ़ार्मासूटिकल के अंतर्गत पेट्रोल पंपों पर भविष्य में जन औषधि स्टोर्स खोले जाएंगे।’
इससे पहले बुधवार को ऊर्जा क्षेत्र में कार्यरत सरकारी कंपनियों द्वारा प्रमोट एनर्जी एफ़िशंसी सर्विसेज लिमिटेड (EESL) और सरकारी ईंधन रिटेल कंपनियों के बीच पेट्रोल पंप पर कम बिजली खपत वाले एलईडी बल्ब बेचने को लेकर भी एमओयू साइन हुआ। इस पर ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल ने कहा था कि यह उदाहरण है कि मोदी सरकार के सभी विभाग एक साथ मिलकर काम कर रहे हैं। बता दें कि ईईएसल ने इंडियन ऑयल, हिंदुस्तान पेट्रोलियम और भारत पेट्रोलियम के साथ गठजोड़ किया है। जिसके बाद सरकारी ईंधन कंपनियों के 55 हजार पेट्रोल पंपों पर एलईडी बल्ब और अन्य बिजली बचाने वाले उपकरण बेचे जाएंगे।