भूकंप के बाद पानी में हुई हलचल के बाद चला पता लाइवसाइंस में छपी शोधकर्ता ऑरेली कॉड्यूरियर की रिपोर्ट में कहा गया है कि- यह एक संरचना नहीं है, जो तेजी से आगे बढ़ रही है। यह भी बाकी ग्रह सीमाओं की तरह ही महत्वपूर्ण है। प्लेट के अलग होने की रफ्तार इतनी धीमी है कि शुरुआत में शोधकर्ताओं को इसके बारे में पता ही नहीं चला। हिंद महासागर के एक अजीब से हिस्से में आए दो बड़े भूकंप और उसके बाद पानी में हुई हलचल के बाद शोधकर्ताओं को इसके बारे में संकेत मिले।
‘एक पहेली की तरह है टेक्टोनिक प्लेट’ हिंद महासागर में इंडोनेशिया के पास 11 अप्रैल 2012 को 8.6 मैग्नीट्यूड और 8.2 मैग्नीट्यूड के दो भूकंप आए थे। भूकंप टेक्टोनिकल प्लेट के आसपास नहीं आए थे, बल्कि एक अलग जगह पर आए थे जो इस प्लेट के बीच में कहीं हैं। इसके बाद वैज्ञानिकों को लगा कि पानी के नीचे कुछ हलचल हो रही है। ऑरेली कॉड्यूरियर के अनुसार- ‘यह चीज एक पहेली की तरह है। क्योंकि यह प्लेट एक समान नहीं है, बल्कि यह संख्या में तीन हैं, जो आपस में जुड़ी हुई हैं।
प्लेट को अलग होने में लगेंगे कई लाख साल! खास बात यह है कि ये तीनों ही एक ही दिशा में आगे बढ़ रही हैं।’ कॉड्यूरियर-कर्वूर ने इस बात का उल्लेख भी किया है कि प्लेट पर बना फ्रैक्चर जोन भूकंप के कारण नहीं बना। यह दरार निष्क्रिय दरारें, पृथ्वी कर्वेचर की कारण बनी हैं। अध्ययनकर्ताओं के अनुसार- इन प्लेटों को अलग होने में कई लाख साल लगेंगे।