टास्क फोर्स ने तय किया है कि जिन लोगों को आईटी एक्ट की धारा-131 के तहत नोटिस थमाया जाएगा, उन्हें एक प्रश्नावली भी दी जाएगी। इसमें सवाल होगा कि विदेशी निवेश और संपत्तियों से उनका क्या संबंध है? लेनदेन और जमाओं के बारे में भी सवाल पूछा जाएगा। इसके अलावा विदेशी कंपनियों में निवेश करने वाले शेयरहोल्डर्स, डायरेक्टर्स और लाभार्थियों से पूरा विवरण मांगा जाएगा। जैसे कि आयकर रिटर्न, बैंक खातों के बारे में जानकारी देनी होगी।
अधिकारी के मुताबिक, टास्क फोर्स साफ तौर पर निर्देश दिए गए हैं, वह निश्चित समयसीमा में सभी विदेशी संपत्तियों का आकलन करे। मामले में जल्द से जल्द मुकदमा चलाने को भी कहा गया है।
अगर कोई व्यक्ति जांच के दौरान ये दावा करता है कि वह प्रवासी है तो उसे अपना मूल पासपोर्ट और अन्य संबंधित दस्तावेज पेश करने होंगे। जरूरी हुआ तो स्वतंत्र तौर पर आव्रजन अधिकारियों से भी इसकी जांच कराई जाएगी। खास तौर पर उस व्यक्तिके भारत में रहने के दौरान विदेशी निवेशों के विवरण की भी जांच होगी। इसके अलावा संबंधित व्यक्तिके बारे में सोशल मीडिया पर किए गए पोस्ट और अन्य माध्यमों से भी जानकारी जुटाई जाएगी।
जबलपुर ञ्च पत्रिका ब्यूरो. सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने कहा है कि कर प्रणाली ऐसी हो जिससे किसी पर भार न पडे़। उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि मधुमक्खी फूलों से उतना ही रस ग्रहण करती है, जिससे पेड़ या फूल को नुकसान न हो। रस देने के बाद भी वह शहद बनाकर समाज के कल्याण का काम करती है। करा- रोपण ऐसी ही हो। इस परिप्रेक्ष्य में वेदव्यास व चाणक्य का जिक्र भी किया। जस्टिस मिश्रा ने कहा ‘कर का स्वरूप ऐसा होना चाहिए, जो सरल और तर्कसंगत हो। वह उतना हो, जिससे किसी पर भार नहीं पड़े।
इस मामले में जानबूझकर कर छिपाने पर सजा होगी, जिसमें 3 से लेकर 10 साल तक की कैद और उसके साथ जुर्माना भी भरना होगा।