सत्तारूढ़ दल को जनता की चिंता नहीं: स्टालिन
Published: May 02, 2015 09:01:00 pm
डीएमके कोषाध्यक्ष एम.के स्टालिन ने शनिवार को कहा कि राज्य में सत्तारूढ़ एआईएडीएमके को जनता की चिंता नहीं है
चेन्नई। डीएमके कोषाध्यक्ष एम.के स्टालिन ने शनिवार को कहा कि राज्य में सत्तारूढ़ एआईएडीएमके को जनता की चिंता नहीं है। मुख्यमंत्री ओ. पन्नीरसेल्वम को लिखे पत्र में उन्होंने कहा कि एक समय था जब बड़ी कंपनियां, प्रमुख ब्रांड्स और अत्यधिक सम्मानित औद्योगिक घराने स्वस्थ व जीवंत तमिलनाडु में आने को इच्छुक रहते थे। लेकिन आज तमिलनाडु आईसीयू में है और इसके संकेत अत्यधिक चिंता का कारण हैं। कभी तमिलनाडु भारत में सर्वश्रेष्ठ तीन निवेश गंतव्यों में हुआ करता था लेकिन आज वह उन तीन प्रमुख राज्यों में शामिल है जहां से कंपनियां हताश होकर दूर हो रही हैं।
फाक्सकान और नोकिया ने सरकारी मदद की कमी के कारण राज्य को छोड़ दिया। हुंडई, फोर्ड, सैन्ट गोबैन तथा अन्य कई कंपनियों ने अन्य राज्यों में अपने विस्तार का निर्णय किया है। लघु एवं छोटे उद्योग पिछले चार साल से डूब रहे हैं। बहुप्रचारित ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट को दो बार स्थगित किया जा चुका है। सरकार ने इस सम्मेलन के लिए कई देशों की कंपनियों को बुलाने के लिए जनता के 100 करोड़ रूपए खर्च किए थे। सरकार ने वादा किया था कि इस सम्मेलन से 76,000 करोड़ रूपए का निवेश लाया जाएगा।
70 प्रतिशत स्नातकों को नौकरी नहीं
स्टालिन ने कहा कि आज 70 प्रतिशत स्नातक नौकरी नहीं पा रहे हैं। वे जानना चाह रहे हैं कि यदि 76,000 करोड़ का निवेश होता कि कितनी नौकरियां मिलती। उन्होंने कहा कि सरकार ने युवाओं के भविष्य को पूर्ण रूप से उपेक्षित किया है। लाखों युवाओं के सपने बिखर गए हैं। सरकार की कई घोषणाएं केवल कागज पर ही हैं। सरकार उनको लागू करने के लिए कोई कदम नहीं उठा रही है। सरकार की कोई बड़ी बुनियादी ढ़ाचे की परियोजना नहीं है। सरकार के पास दृष्टि की कमी है और राज्य की प्रगति ठहर गई है। राज्य में अपराध दर में खासकर महिलाओं और बच्चों के विरूद्ध भयावह स्तर तक वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि राज्य में बिजली की कमी नियंत्रण के बाहर पहुंच गई है। ऎसे में सरकार अब तो कम से कम जागे और लोगों की जरूरतों को पूरा करें।