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धारा 377: सुप्रीम फैसले के बाद RSS बोला- अप्राकृतिक हैं समलैंगिक संबंध, इसलिए नहीं करते समर्थन

locationनई दिल्लीPublished: Sep 06, 2018 06:06:27 pm

Submitted by:

Prashant Jha

संघ ने कहा कि समलैंगिक संबंध प्राकृतिक नहीं हैं। संघ ऐसे संबंधों का समर्थन नहीं करता।

RSS on section 377

धारा 377: सुप्रीम फैसले के बाद RSS बोला- प्राकृतिक नहीं हैं समलैंगिक संबंध, इसलिए नहीं करते समर्थन

नई दिल्ली: समलैंगिकता के फैसले पर जहां एक बड़ा वर्ग जश्न मना रहा है। वहीं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) इसे अप्राकृतिक करार दिया है। संघ ने कहा कि समलैंगिक संबंध प्राकृतिक नहीं हैं। संघ ऐसे संबंधों का समर्थन नहीं करता। अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख अरुण कुमार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले आने के बाद कहा राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ भी शीर्ष अदालत के निर्णय की तरह इस को अपराध नहीं मानता। लेकिन समलैंगिक विवाह और संबंध प्रकृति से सुसंगत एवं नैसर्गिक नहीं है, इसलिए हम इस प्रकार के संबंधों का समर्थन नहीं करते और ना ही बढ़ावा देते हैं। परंपरा के मुताबिक भारत का समाज भी इस प्रकार के संबंधों को मान्यता नहीं देता। उन्होंने कहा कि मनुष्य सामान्यतः अनुभवों से सीखता है इसलिए इस विषय को सामाजिक एवं मनोवैज्ञानिक स्तर पर ही संभालने की आवश्यकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया ऐतिहासिक फैसला

बता दें कि भारतीय दंड संहिता की धारा 377 पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने धारा 377 के उस प्रावधान को निरस्‍त कर दिया, जिसके तहत समलैंगिक संबंधों को अपराध माना जाता था।

कांग्रेस ने बताया महत्वपूर्ण कदम

गौरतलब है कि कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ‘बेहद महत्वपूर्ण’ बताया है। कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने एक ट्वीट में कहा, “सर्वोच्च न्यायालय का धारा 377 पर फैसला बेहद महत्वपूर्ण है। एक पुराना औपनिवेशिक कानून जो आज के आधुनिक समय की सच्चाई से अलग था, समाप्त हो गया, मौलिक अधिकार बहाल हुए हैं और लैंगिक-रुझान पर आधारित भेदभाव को अस्वीकार किया गया है।” उन्होंने कहा, “यह एक उदार और सहिष्णु समाज की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है।

अब तक क्या था धारा 377?

भारत में समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी में रखा गया था। यह आईपीसी की धारा 377 के अप्राकृतिक (अननैचुरल) यौन संबंध को गैरकानूनी ठहराता था। इस धारा के तहत दो लोग आपसी सहमति या असहमति से अप्राकृतिक संबंध बनाते हैं और दोषी पाए जाते तो उनपर 10 साल की सजा व जुर्माने का प्रावधान था। बता दें कि सहमति से 2 पुरुषों, स्त्रियों और समलैंगिकों के बीच यौन संबंध भी इसके दायरे में आता था।

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