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COVID-19: तेलंगाना HC ने कहा मेडिकल इमरजेंसी के नाम पर मौलिक अधिकारों को कुचलने की इजाजत नहीं

locationनई दिल्लीPublished: May 23, 2020 03:48:16 pm

Submitted by:

Kaushlendra Pathak

COVID-19 संकट के बीच तेलंगाना HC का बड़ा फैसला
मेडिकल इमरजेंसी ( Medical Emergency ) के नाम पर मौलिक अधिकार ( Fundamental Rights ) का हनन नहीं- HC

There is pandemic but no formal emergency fundamental rights cant be taken away arbitrarily

तेलंगाना कोर्ट ने कहा मेडिकल इमरजेंसी के नाम पर मौलिक अधिकार का हनन नहीं किया जा सकता है।

नई दिल्ली। पूरा देश इन दिनों कोरोना वायरस ( coronavirus ) संकट से जूझ रहा है। इस खतरनाक वायरस के कारण देश में लॉकडाउन ( Lockdown 4.0 ) लागू है। महामारी के कारण पूरे देश में मेडिकल इमजेंसी जैसे हालात हैं। वहीं, मेडकिल इमरजेंसी ( Medical Emergency ) पर तेलंगाना हाईकोर्ट ( Telangana High Court ) ने कहा कि इमरजेंसी के नाम पर नागरिकों के मौलिक अधिकारों ( Fundamental Rights ) को कुचलने की इजाजत नहीं है। कोर्ट ने कहा कि भारतीय संविधान ( Indian Constitution ) के अनुच्छेद 21 के तहत नागरिकों को मौलिक अधिकार मिले हैं, जिसे मेडिकल इमजेंसी के नाम पर कुचलने की इजाजत नहीं दी जा सकती है।
न्यायमूर्ति एमएस रामचंद्र राव ( Justice MS Ramchandra Rao ) और न्यायमूर्ति के लक्ष्मण ( Justice L Lakshman ) की खंडपीठ ने उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि कोरोना वायरस की जांच केवल चिन्हित सरकारी हॉस्पिटल में भी काराय जाए। अदालत ने महाधिवक्ता की उस दलील को मानने से इनकार कर दिया, जिसमें कहा गया था कि COVID 19 लेकर इमरजेंसी जैसी स्थिति है और इस स्थिति में राज्य की कार्रवाई सही है।
दरअसल, राज्य सरकार ने 11 अप्रैल, 2020 को केवल सरकारी अस्पतालों को कोविड- 19 ( COVID-19 ) परीक्षण की इजाजत दी थी। प्रवाइवेट हॉस्पिटल और नर्सिंग होम में न तो कोरोना की जांच और ना ही इलाज की इजाजत दी गई थी। अदालत के महाधिवक्ता के तर्क को खारिज करते कहा कि बेशक संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत सरकार द्वारा कोई आपातकाल घोषित नहीं किया गया है, हालांकि एक महामारी की स्थिति है। लिहाजा, उन्होंने राज्य की कार्रवाई को सही ठहराया।

कोर्ट ने कहा कि किसी भी आपातकाल में चिकित्सा हो या फिर युद्ध अनुच्छेद 21 के तहत मौलिक अधिकारों को रौंदने की इजाजत नहीं होगी। अदालतें यह देखने की शक्ति रखती हैं कि राज्य आपात स्थिति के दौरान भी न्यायपूर्ण और उचित तरीके से कार्य करेगा। कोर्ट ने कहा कि यह तर्क नहीं दिया जा सकता है कि राज्य द्वारा कुछ भी किया जा सकता है। गौरतलब है कि कोर्ट जय कुमार नामक के दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। जिसमें यह दावा किया गया है कि स्वास्थ्य मौलिक अधिकार के अंतर्गत आता है और कोरोना जांच के लिए किसी भी प्राइवेट हॉस्पिटल में जाया जा सकता है।
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