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भारत की ये 6 वैक्सीन जगा रहीं उम्मीद, प्रोडक्शन में खर्च हो सकते हैं करोड़ों

locationनई दिल्लीPublished: May 30, 2020 01:40:05 pm

Submitted by:

Soma Roy

Coronavirus Vaccine : इस समय देश में 4 प्रकार की वैक्सीन पर चल रहा है काम, कुछ का हुआ है क्लिनिकल ट्रायल
10 साल की रिसर्च को एक साल में पूरा करने की हो रही कोशिश

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Coronavirus Vaccine

नई दिल्ली। कोरोना वायरस (Coronavirus Outbreak) का कहर लगातार बढ़ता जा रहा है। इससे लाखों लोग प्रभावित हो रहे हैं। ऐसे में देश में कोरोना के खात्मे के लिए दवाई बनाने की कोशिशें तेज हो गई हैं। प्रिंसिपल साइंटिफिक एडवाइजर के. विजयराघवन के मुताबिक भारत में इस वक्त 10 दवाइयों पर काम चल रहा है। इनमें से 6 दवाईयां (Vaccine) वाकई कारगर साबित हो सकती है। इन्हें जल्द से जल्द बनाए जाने को लेकर करोड़ों रुपए इंवेस्ट भी किए जा रहे हैं।
देश में 30 ग्रुप्‍स ऐसे हैं जो कोविड-19 की वैक्‍सीन खोज में लगे हुए हैं। के. विजयराघवन ने कहा कि चार तरह की वैक्‍सीन पर फिलहाल रिसर्च हो रही है। इनमें mRNA वैक्‍सीन, अटेनुएटेड वैक्‍सीन, एनऐक्टिवेटेड वैक्‍सीन और एडजुवेंट वैक्‍सीन शामिल हैं। कई दवाईयों और वैक्सीन का प्री-क्लिनिकल ट्रायल चल रहा है। जबकि कुछ दवाईयां इस ट्रायल में खरी उतरी हैं। हालांकि इन्हें पूरी तरह से बनने में अभी वक्त लगेगा।
10 साल की रिसर्च एक साल में करनी होगी
प्रिंसिपल साइंटिफिक एडवाइजर के मुताबिक किसी भी वैक्सीन को तैयार करने में करीब 10 साल का वक्त लगता है, लेकिन कोरोना महामारी को देखते हुए इसे एक साल के अंदर तैयार करने पर जोर दिया जा रहा है। इसीलिए इनवेस्‍टमेंट्स बढ़ा दी गई हैं और रिसर्च का दायरा भी। वैक्‍सीन बनाने और उसके बड़े पैमाने पर प्रॉडक्‍शन एवं डिस्‍ट्रीब्‍यूशन में भारी रकम खर्च होगी। इसमें 2 से 3 बिलियन डॉलर (1515 करोड़ रुपये-2272 करोड़ रुपये) का खर्च आ सकता है।
इन दवाओं पर चल रही रिसर्च
कोरोना के खात्मे के लिए इस समय भारत में कुछ खास दवाईयों पर रिसर्च की जा रही है। इनमें favipiravir, itolizumab, phytopharmaceutical (प्‍लांट बेस्‍ड), microbacterium W, convalescent plasma, arbidol, ACQH, HCQ, remdesivir और BCG वैक्‍सीन शामिल हैं। ये सभी अंडर ट्रायल हैं। वैक्‍सीन बनने के बाद भी ये एक साथ सबको नहीं मिलेगी। क्योंकि इसे प्राथमिकता वाले क्षेत्रों को दिया जाएगा।
तीन चीजों पर रहेगा फोकस
भारत सरकार के प्लान के अनुसार रिसर्च और डेवलपमेंट की तीन लाइन्‍स हैं। पहले स्टेज में घरेलू कोशिशें हों। दूसरे में ग्‍लोबल लेवल पर सहयोग हो जिसमें भारतीय संस्‍थान लीड रोल में हैं और तीसरा ग्‍लोबल कोशिशों में भारत की भी हिस्‍सेदारी हो। इस मामले में प्रिंसिपल साइंटिफिक एडवाइजर के. विजयराघवन का कहना है कि रेगुलेटरी प्रोसेस को तेज करने की जरूरत होगी। तभी मैनुफैक्‍चरिंग की क्षमता को बढ़ाया जा सकेगा।
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