बड़ी कटौती का फैसला अभी क्यों? उल्लेखनीय है कि बीते कुछ दिनों में एक समय ऐसा भी आया जब खुद पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान भी आग उगलती कीमतों के आगे लगभग घुटने टेकते नजर आए थे। ऐसे में मोदी सरकार ने अचानक बड़ी कटौती का फैसला क्यों किया? अगर यह जनता को राहत देने के लिए ही होता तो इतना इंतजार नहीं किया जाता। ऐसे में साफ है मोदी सरकार पर इस मसले पर चौतरफा दबाव है और इसी वजह से यह फैसला अभी लिया गया है। इनमें कई बड़े कारण शामिल हैं।
पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव साल के अंत तक पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। इनमें मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, मिजोरम और तेलंगाना में विधानसभा चुनाव होने हैं। जाहिर है इन चुनावों के परिणाम का सीधा असर लोकसभा चुनाव 2019 पर भी देखने को मिलेगा। सभी राज्यों में भाजपा की स्थिति पिछले चुनाव की तुलना में बेहद कमजोर है। ऐसे में पेट्रोल-डीजल की महंगाई को काबू कर सरकार अच्छे दिनों के संकेत देना चाहती है ताकि इसका मनोवैज्ञानिक लाभ लिया जा सके। चुनाव को देखते हुए अगले कुछ दिनों में और भी राहत मिल सकती है।
महंगाई पर ना अपने साथ हैं ना पराए महंगाई को लेकर मोदी सरकार पर इस वक्त सिर्फ विपक्ष ही नहीं बल्कि एनडीए के घटक दलों का भी दबाव है। देश में सबसे महंगा पेट्रोल-डीजल महाराष्ट्र में मिलता है। वहां भाजपा और शिवसेना की गठबंधन सरकार है। शिवसेना अलग-अलग मसलों पर लगातार भाजपा को निशाना बना रही है, इनमें पेट्रोल-डीजल की महंगाई सबसे अहम है। शिवसेना के अलावा बिहार में जेडीयू भी महंगाई के मसले पर सरकार के साथ नहीं नजर आ रही। जेडीयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता केसी त्यागी कह चुके हैं कि महंगाई नियंत्रण में नहीं रही तो सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती है। 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले जिस तरह के राजनीतिक हालात देश में बने हैं वो 2014 के मुकाबले बेहद अलग हैं। इस बार मोदी सरकार के खिलाफ एंटी इनकमबेंसी भी रहेगी। ऐसे में भाजपा अपने साथी दलों को नाराज करने का जोखिम नहीं उठा सकती।