यहां सबसे बड़ा सवाल यह है कि अटल बिहारी वाजपेयी को मुखाग्नि कौन देगा? दरअसल अटल बिहारी वाजपेयी ने कभी शादी नहीं की। ऐसे में उनके पार्थिव शरीर को मुखाग्नि कौन देगा ये सवाल सभी के जहन में है। उन्हें मुखाग्नि देने वालें में सबसे आगे जो नाम है वो है नमिता का…जो उनकी दत्तक पुत्री मानी जाती हैं। वाजपेयी के प्रधानमंत्रित्व काल में भी राजकुमारी कौल और नमिता उनके सरकारी आवास में हीं रहती थीं। नमिता वाजपेयी की बुजुर्ग अवस्था में उनकी देखभाल करती थीं। ऐसे में संभव है कि नमिता हीं चिता को आग देने की भूमिका का निर्वाह करें।
दामाद भी दे सकते हैं मुखाग्नि
नमिता कौल की शादी बंगाली मूल के रंजन भट्टाचार्या से हुई है। वाजपेयी के प्रधानमंत्रित्व काल रंजन और नमिता खासे चर्चा में रहते थें। संभव है कि अगर नमिता महिला होने के नाते मुखग्नि नहीं देती हैं तो इस दायित्व का निर्वहन रंजन भट्टाचार्य करें। वहीं अनूप मिश्रा भी एक संभावना हैं। वाजपेयी के भांजे हैं अनूप मिश्रा. भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर 16वीं लोकसभा के लिए मध्यप्रदेश की मुरैना सीट से निर्वाचित हुए हैं। एक सूरत यह भी बनती दिखाई दे रही है कि अनूप मिश्रा वाजपेयी की चिता का अंतिम संस्कार कर सकते हैं, हालांकि आखिरी निर्णय उनके परिवार का हीं होगा।
नमिता कौल की शादी बंगाली मूल के रंजन भट्टाचार्या से हुई है। वाजपेयी के प्रधानमंत्रित्व काल रंजन और नमिता खासे चर्चा में रहते थें। संभव है कि अगर नमिता महिला होने के नाते मुखग्नि नहीं देती हैं तो इस दायित्व का निर्वहन रंजन भट्टाचार्य करें। वहीं अनूप मिश्रा भी एक संभावना हैं। वाजपेयी के भांजे हैं अनूप मिश्रा. भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर 16वीं लोकसभा के लिए मध्यप्रदेश की मुरैना सीट से निर्वाचित हुए हैं। एक सूरत यह भी बनती दिखाई दे रही है कि अनूप मिश्रा वाजपेयी की चिता का अंतिम संस्कार कर सकते हैं, हालांकि आखिरी निर्णय उनके परिवार का हीं होगा।
दीपक वाजपेयी भी विकल्प
अटल बिहारी वाजपेयी का परिवार मूल रुप से मध्य प्रदेश के ग्वालियर का रहने वाला था। यहां पर आज भी उनका भरा पूरा परिवार रहता है। उनके भतीजे दीपक वाजपेयी जो कि उनके भाई के बेटे हैं, वो भी दिल्ली पहुंच चुके हैं। ग्वालियर में रहने वाली उनकी भतीजी कांति वाजपेयी ने कहा कि हक तो हमारे हीं परिवार का बनता है लेकिन आखिरी निर्णय सर्वसम्मति से तय होगा।
अटल बिहारी वाजपेयी का परिवार मूल रुप से मध्य प्रदेश के ग्वालियर का रहने वाला था। यहां पर आज भी उनका भरा पूरा परिवार रहता है। उनके भतीजे दीपक वाजपेयी जो कि उनके भाई के बेटे हैं, वो भी दिल्ली पहुंच चुके हैं। ग्वालियर में रहने वाली उनकी भतीजी कांति वाजपेयी ने कहा कि हक तो हमारे हीं परिवार का बनता है लेकिन आखिरी निर्णय सर्वसम्मति से तय होगा।