यहां मौजूद शिवलिंग का रंग सुबह लाल, दिन में केसरिया और शाम को सांवला हो जाता है। ऐसा क्यों होता है ये सब तो नहीं पता लेकिन मंदिर के इस रहस्य को अभी तक कोई समझ नहीं पाया है। न ही विज्ञान के पास इसका को पता चला है। इसके अलावा ये भी आजतक राज है कि इस मंदिर में शिवलिंग को चढ़ाया गया जल जाता कहां हैं। ऐसा कहते हैं कि शिवलिंग के नीचे बने प्राकृतिक पाताल में जाता हैं। ऐसा भी कहा जाता है कि 2,500 साल पहले बने इस मंदिर में पंच धातु की बनी नंदी की एक विशाल प्रतिमा है। जिसका वजन चार टन के आसपास है। ये मंदिर माउण्ट आबू के पास है।