ऐसे शुरू हुआ मां बनने का सफर इस हादसे के बाद सुप्रिया टूट चुकी थी। उन्होंने इस बात को एक ब्लाग पर लिखा था। मूल रूप से जयपुर की सुप्रिया ने किस्मत में विश्वास रखती हैं। उन्होंने बिना अपने अभिभावकों से बातचीत किए एक फैसला लिया। उन्होंने अपने पति के बच्चे को जन्म देने का मन बनाया और डॉक्टर से मुलाकात की। इस दौरान उन्हें काफी पैसे खर्च करने पड़े।
सरोगेट मदर की ली मदद डॉक्टरों का कहना है कि यह आसान नहीं रहा और बहुत मुश्किल से सुप्रिया के पति के स्पर्म्स को संभाल कर रखा जा सका। डॉक्टर के अनुसार वह कोई रिस्क नहीं लेना चाहते थे। इसलिए कई बार एग्स फर्टिलाइज करने की कोशिश की लेकिन बात नहीं बनी। इसके बाद सरोगेट ढूंढने का फैसला भी किया गया। उन्होंने बताया कि यह आखिरी उम्मीद थी।
अब शहर छोड़कर नहीं जाना पड़ेगा सुप्रिया बाली में थीं जब उन्हें सरोगेट मदर से अपने बेटे के होने का पता चला। इसे सुनकर उन्हें लगा कि गौरव ने दोबारा उनके परिवार में जन्म लिया है। इसी दिन ही गौरव की दुर्घटना में मौत हो गई थी। उन्होंने पहले ही तय किया था कि उनका एक बच्चा होगा और दूसरा वह अडॉप्ट कर लेंगे। उन्होंने बताया कि गौरव की मौत वाले दिन वह अकसर शहर छोड़कर बाहर निकल जातीं हैं। मगर अब उन्हें शहर छोड़कर नहीं जाना होगा।