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बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने जस्टिस चेलमेश्वर से की मुलाकात, शाम को होगी CJI से मीटिंग

locationनई दिल्लीPublished: Jan 14, 2018 02:30:46 pm

Submitted by:

Navyavesh Navrahi

मामले का जल्द सुलझाने के लिए काउंसिल की टीम अन्य जजों से मिलकर उनकी राय भी जानेगी।

Bar Council Of India

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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में जजों के बीच चल रहे मतभेद को सुलझाने के लिए बार काउंसिल आगे आई है। रविवार को बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष मनन मिश्रा की अगुवाई वाले एक प्रतिनिधिमंडल ने जस्टिस चेलमेश्वर से उनके आवास पर मुलाकात की। इसके बाद सात सदस्यों का ये प्रतिनिधिमंडल तीन अन्य सुप्रीम कोर्ट के जज और चीफ जस्टिस से मुलाकात करेेगा। चेलमेश्वर के आवास से निकले बार काउंसिल ऑफ इंडिया के प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि वह सभी से मुलाकात के बाद ही मीडिया में अपनी कोई प्रतिक्रिया देंगे।
काउंसिल की सात सदस्यीय टीम आज शाम 7.30 बजे मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा से मिलेगी। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकीलों का कहना है कि न्यायपालिका की विश्वस्नीयता बहाल रखना बहुतत जरूरी है। मतभेदों को जल्दी सुलझाने के लिए टीम जस्टिस दीपक मिश्रा समेत अन्य जजों से मिलकर उनकी राय जानेगी। बार काउंसिल के सूत्रों का मानना है कि जजों को फुल कोर्ट मीटिंग बुलानी चाहिए। यदि फिर भी मामला नहीं सुलझता, तो उन्‍हें राष्‍ट्रपति से संपर्क करना चाहिए।
बता दें, शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के चार जजों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके चीफ जस्टिस की कार्यशैली पर सवाल उठाए थे। बार काउंसिल ने जजों के इस कदम को सही नहीं माना है। काउंसिल का कहना है कि जजों के इस कदम ने पूरे सिस्टम को हिलाकर रख रख दिया है। जितनी जल्दी हो सके, यह मामला हल होना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के चेयरमैन मनन कुमार मिश्रा का कहना है- हम नहीं चाहते कि ऐसे मामले सार्वजनिक रूप से हल किए जाएं। इस तरह से सिस्टम कमजोर होगा। मामले का आतंरिक रूप से ही हल कर लिया जाना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने एक विशेष बैठक में अपने एक प्रस्ताव में कहा है कि 15 जनवरी को शीर्ष अदालत में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध मामलों को भी अन्य जजों के पास से कॉलेजियम में शामिल पांच सर्वाधिक वरिष्ठ जजों के पास भेज दिया जाना चाहिए। काउंसिल के अध्यक्ष विकास सिंह न्यायपालिका में मतभेद गंभीर चिंता का विषय हैं और उस पर उच्चतम न्यायालय की पूर्ण अदालत को तत्काल विचार करना चाहिए।
प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि लंबित मामलों समेत सभी जनहित याचिकाओं पर प्रधान न्यायाधीश को विचार करना चाहिए। ऐसा न होने की सूरत में ये मामले कॉलेजियम में शामिल न्यायाधीशों को सौंपे जाने चाहिएं।
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