ऐसे हुआ हादसा… रेलवे ट्रैक के ठीक पास एक रावण का पुतला जल रहा था। यहां करीब 500 से 700 लोग मौजूद थे। रावण का पुतला जलते ही आतिशबाजी के चलते लोग दूर भागे और उसी दौरान पठानकोट की तरफ से आने वाली जालंधर-अमृतसर एक्सप्रेस आ रही थी। दूसरी तरफ से डीएमयू आ रही थी। लोग रावण के जलते पुतले और पटरियों पर दौड़ती दो ट्रेनों के बीच फंस गए। बताया जा रहा है कि ट्रैक पर करीब 150 मीटर की दूरी तक लोगों के क्षत-विक्षत शव पड़े हैं। कई दर्जन लोग घायल हो गए हैं। जीआरपी, डॉक्टरों की टीम, रेलवे के अधिकारी समेत कई राहत और बचाव की टीमें भी पहुंची गई है।
मौके से भागीं सिद्धू की पत्नीः चश्मदीद मौके पर मौजूद लोगों का कहना है, ‘इस दशहरा कार्यक्रम में कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर सिद्धू भी मौके पर मौजूद थीं। वो मंच पर भाषण दे रही थीं। लेकिन हादसा होते ही वे मौके से चली गईं। इसके चलते लोगों में गुस्सा है।’ उल्लेखनीय है कि नवजोत कौर सिद्धू खुद पेशे से डॉक्टर हैं ऐसे में लोगों को उनसे इस दर्दनाक मौके पर खुद कमान संभालने और मदद के लिए आगे आने की उम्मीद थी।’
प्रशासन की भयानक लापरवाही जिस तरह से यह भयानक दुर्घटना हुई है उसे देखते हुए कई तरह की लापरवाही सामने आई है। हालांकि कोई भी आधिकारिक जांच रिपोर्ट आने तक कुछ कह पाना जल्दबाजी है। लेकिन रेलवे ट्रैक के पास रावण दहन होनी की अनुमति देना किसी भी लिहाज से ठीक नहीं माना जाता। जिस ट्रैक पर यह हादसा हुआ है वो बेहद व्यस्त रास्तों में शुमार है। ऐसे में ट्रेन में सवार लोगों को भी पटाखों से चोट लगने की आशंका रहती है। पटाखों की चिंगारी से ट्रेन भी किसी हादसे की शिकार हो सकती थी।