scriptसबरीमला में महिलाओं का प्रवेशः सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध करेगा त्रावणकोर देवस्वम बोर्ड | Travancore Devaswom Board to appeal against SC verdict on Sabrimala | Patrika News

सबरीमला में महिलाओं का प्रवेशः सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध करेगा त्रावणकोर देवस्वम बोर्ड

locationनई दिल्लीPublished: Oct 19, 2018 06:02:14 pm

बोर्ड के अध्यक्ष ए पद्मकुमार ने सभी उम्र की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की अनुमति देने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध करने का ऐलान किया है।

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सबरीमला में महिलाओं का प्रवेशः सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध करेगा त्रावणकोर देवस्वम बोर्ड

तिरुअनंतपुरम। सबरीमला अय्यप्पा मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर चल रहे विवाद के बीच त्रावणकोर देवस्वम बोर्ड ने बड़ा ऐलान किया है। बोर्ड के अध्यक्ष ए पद्मकुमार ने सभी उम्र की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की अनुमति देने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध करने का ऐलान किया है। उल्लेखनीय है कि गुरुवार को ही गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने ने कहा था कि सबरीमला मंदिर में श्रद्धालुओं की सुरक्षा का उत्तरदायित्व राज्य सरकार है क्योंकि वहां की कानून एवं व्यवस्था राज्य सरकार के दायरे में आते हैं। अधिकारी ने कहा कि मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद ही कानून एवं व्यवस्था को लेकर एक एडवाइजरी पहले ही भेज दी गई है।
दो महिलाओं को वापस लौटना पड़ा

गौरतलब है कि शुक्रवार को भगवान अय्यप्पा के अनुयायियों के भारी विरोध के चलते केरल पुलिस के सुरक्षा घेरे में जा रही दोनों महिलाओं को भगवान अय्यप्पा मंदिर की यात्रा से लौटने को मजबूर होना पड़ा। हैदराबाद की पत्रकार कविता अपने चार सहयोगियों और एक अन्य महिला भक्त रेहना फातिमा के साथ सुबह करीब 10.50 बजे कोच्चि से पंबा पहाड़ी पर स्थित मंदिर की अपनी यात्रा शुरू की। सुबह करीब पौने सात बजे दोनों महिलाओं ने लगभग 100 पुलिसकर्मियों के सुरक्षा घेरे के साथ दो घंटे की चढ़ाई शुरू की थी। महिलाओं के मंदिर पहुंचने की खबर सुनने के बाद मंदिर के तंत्री के लगभग 30 कर्मचारी अपना अनुष्ठान छोड़कर विरोध प्रदर्शन में शामिल हो गए और सीढ़ियों के सामने बैठ गए।
…इस वजह से नहीं मिलता था महिलाओं को प्रवेश

उल्लेखनीय है अब तक सबरीमला मंदिर में 10 से 50 साल की उम्र तक की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाती थी। इसके पीछे तर्क दिया जाता था कि महिलाएं इस उम्र में रजःस्वला (मासिक धर्म) के दौर से गुजरती हैं। इसे सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ जजों की बेंच ने हाल ही में गलत प्रक्रिया करार दिया। हालांकि बेंच में शामिल एकमात्र महिला जस्टिस इंदु मल्होत्रा ने फैसले पर असहमति जाहिर की थी।
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