सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने साल 2015 में ग्रीन हाईवे की नीति जारी की थी। नीति जारी होने के बाद भी काम में तेजी नहीं आने से गडकरी ने इसी साल अगस्त महीने में इसकी समीक्षा की। काम में कम प्रगति देखकर गडकरी ने इस पूरे अभियान को एनएचएआई को सौंप दिया।
एनएचएआई ने 19 सितंबर 2017 को ग्रीन हाईवे डिविजन का गठन किया और कार्य में तेजी लाने के लिए अध्यक्ष भी नियुक्त कर दिया। नए विभाग जहां हाईवे किनारे वृक्षारोपड़ का कार्य देखेंगा वहीं इसके सौंदर्यीकरण से लेकर रख-रखाव की जिम्मेवारी भी संभालेगा। इसके लिए मंत्रालय की ओर से अगले पांच साल के लिए 5000 करोड़ रूपये के बजट का प्रावधान भी किया गया है।
रोजगार के अवसर बढ़ेंगे
एनएचएआई के एक अधिकारी के मुताबिक नए प्रावधान के तहत हाईवे किनारे रहने वाले लोगों को इस अभियान से जोड़ा जाएगा ताकि लोगों को रोजगार मिल सके। स्थानीय लोगों को इस अभियान से जोड़ने के पीछे प्रमुख कारण यह है कि वृक्षारोपड़ और सौन्दर्यीकरण के काम में तेजी आएगी और किसी तरह का नुकसान नहीं होगा। इसके लिए स्थानीय संस्थाओं, ठेकेदारों की सूची भी तैयार की जा रही है जिनके माध्यम से कार्य पूरा किया जा सके।
एनएचएआई के एक अधिकारी के मुताबिक नए प्रावधान के तहत हाईवे किनारे रहने वाले लोगों को इस अभियान से जोड़ा जाएगा ताकि लोगों को रोजगार मिल सके। स्थानीय लोगों को इस अभियान से जोड़ने के पीछे प्रमुख कारण यह है कि वृक्षारोपड़ और सौन्दर्यीकरण के काम में तेजी आएगी और किसी तरह का नुकसान नहीं होगा। इसके लिए स्थानीय संस्थाओं, ठेकेदारों की सूची भी तैयार की जा रही है जिनके माध्यम से कार्य पूरा किया जा सके।
निगरानी होगी हाइटेक
इस कार्य में पारदर्शिता लाने के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) जैसे संगठन से भी मदद ली जाएगी। कोई भी ठेकेदार या संस्थान बिना कार्य किए भुगतान नहीं ले सकेगा। इसके लिए यह प्रावधान किए गए हैं कि जब तक पौधा बड़ा न हो जाए तब तक भुगतान न किया जाए।
इस कार्य में पारदर्शिता लाने के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) जैसे संगठन से भी मदद ली जाएगी। कोई भी ठेकेदार या संस्थान बिना कार्य किए भुगतान नहीं ले सकेगा। इसके लिए यह प्रावधान किए गए हैं कि जब तक पौधा बड़ा न हो जाए तब तक भुगतान न किया जाए।