बता दें कि तीन तलाक को लोकसभा में मंजूरी देने से नाकाम रही मोदी सरकार इस साल सितंबर में ट्रिपल तलाक पर अध्यादेश लेकर आई थी। यह विधेयक विवाहित मुस्लिम महिलाओं को एक साथ तीन तलाक के खिलाफ संरक्षण देने के लिए लाया गया है।
राजनीतिक रूप से विवादित
राजनीतिक रूप से यह विधेयक काफी विवादित रहा है। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के चीफ असदुद्दीन ओवैसी सहित ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड भी इसका विरोध करता रहा है। वहीं, अन्य मुस्लिम संगठनों द्वारा भी इस पर विरोध जताया गया है। वहीं, कल मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा था कि अगर ट्रिपल तलाक बिल संसद में पास हुआ तो वो इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे।
बता दें कि बीते सितंबर माह में केंद्र सरकार ट्रिपल तलाक पर अध्यादेश लेकर आई थी। केन्द्र सरकार संसद के मौजूदा शीतकालीन सत्र में ट्रिपल तलाक़ बिल संसद में पास कराने की तैयारी में है। ऑल इंडिया पर्सनल लॉ बोर्ड ने शुरू से ही इस बिल का विरोध किया है। वहीं, पिछली बार तीन तलाक बिल का राज्यसभा में कड़ा विरोध हुआ था। उस दौरान विपक्षी नेताओं ने मांग की थी कि इस बिल को कड़े परीक्षण के लिए संसदीय समिति के पास भेजा जाना चाहिए, जिसके बाद केंद्र सरकार इस बिल पर राज्य सरकारों से राय मांगी थी। वही, कई राज्यों ने इस बिल का समर्थन किया था।