डॉक्टरों ने मामले में जानकारी देते हुए बताया कि दोनों का ऑपरेशन 12 घंटे तक चला। अब दोनों की हालत में सुधार है। ऑपरेशन के दौरान न्यूरो, न्यूरो एनेस्थीसिया और प्लास्टिक सर्जरी के 30 डॉक्टरों की टीम मौजूद थी। ऑपरेशन शुरू होने के बाद जग्गा का स्वास्थ्य बिगड़ गया था, जिस वजह से ऑपरेशन का दूसरा चरण जल्दी किया गया।
राज्य सरकार ने दिया था 1 करोड़
इस ऑपरेशन का पूरा खर्च ओडिशा सरकार वहन कर रही है। राज्य सरकार ने ऑपरेशन के लिए एक करोड़ रुपये की राशि जारी की थी। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने एम्स के डॉक्टरों को निर्देश दिए थे कि अगर विदेश से डॉक्टर बुलाना पड़े तो बुला लिया जाए, लेकिन विदेशी डॉक्टरों की जरूरत नहीं पड़ी।
इस ऑपरेशन का पूरा खर्च ओडिशा सरकार वहन कर रही है। राज्य सरकार ने ऑपरेशन के लिए एक करोड़ रुपये की राशि जारी की थी। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने एम्स के डॉक्टरों को निर्देश दिए थे कि अगर विदेश से डॉक्टर बुलाना पड़े तो बुला लिया जाए, लेकिन विदेशी डॉक्टरों की जरूरत नहीं पड़ी।
2 साल के हैं जग्गा-बलिया
जग्गा-बलिया की आयु दो साल चार महीने है। ये दोनों बच्चे कंधमाल जिले के फिरिंगिया ब्लाक के मिलिपाड़ा गांव के आदिवासी गरीब परिवार से हैं। जुलाई 13 से ये दोनों एम्स में भर्ती हैं। दोनों की एक सर्जरी हो चुकी है जिसमें 40 डाक्टरों की टीम ने 20 घंटे तक ऑपरेशन किया था। डाक्टरों का कहना है कि जग्गा-बलिया सिर से जुड़े बच्चे इनका सारा सिस्टम ब्रेन से जुड़ा है। दिमाग की नसें आपस में जुड़ी है जो मस्तिष्क से दिल को रक्त लौटाते हैं। ऐसा होने के कारण ऑपरेशन आसान नहीं था।
जग्गा-बलिया की आयु दो साल चार महीने है। ये दोनों बच्चे कंधमाल जिले के फिरिंगिया ब्लाक के मिलिपाड़ा गांव के आदिवासी गरीब परिवार से हैं। जुलाई 13 से ये दोनों एम्स में भर्ती हैं। दोनों की एक सर्जरी हो चुकी है जिसमें 40 डाक्टरों की टीम ने 20 घंटे तक ऑपरेशन किया था। डाक्टरों का कहना है कि जग्गा-बलिया सिर से जुड़े बच्चे इनका सारा सिस्टम ब्रेन से जुड़ा है। दिमाग की नसें आपस में जुड़ी है जो मस्तिष्क से दिल को रक्त लौटाते हैं। ऐसा होने के कारण ऑपरेशन आसान नहीं था।
भारतीय डॉक्टरों ने किया ऐसा पहला ऑपरेशन
बताया जाता है कि भारतीय डॉक्टरों ने इससे पहले ऐसा ऑपरेशन नहीं किया था। डॉक्टरों के मुताबिक ब्लड लॉस के साथ ही बॉडी तापमान मेंटेन रखने की चुनौती थी। उनका कहना था कि ऐसे मामले में कोशिश तो दोनों ही बचाने की होती है पर एक भी बच जाता है तो चिकित्सा विज्ञान में उपलब्धि कही जा सकती है। सिर जुड़े जुड़वा ढाई करोड़ में एक भी मिल जाए तो बड़ी बात मानी जाती है। दस में से चार ऐसे जुड़वा बच्चे जन्म लेते ही मर जाते हैं।
बताया जाता है कि भारतीय डॉक्टरों ने इससे पहले ऐसा ऑपरेशन नहीं किया था। डॉक्टरों के मुताबिक ब्लड लॉस के साथ ही बॉडी तापमान मेंटेन रखने की चुनौती थी। उनका कहना था कि ऐसे मामले में कोशिश तो दोनों ही बचाने की होती है पर एक भी बच जाता है तो चिकित्सा विज्ञान में उपलब्धि कही जा सकती है। सिर जुड़े जुड़वा ढाई करोड़ में एक भी मिल जाए तो बड़ी बात मानी जाती है। दस में से चार ऐसे जुड़वा बच्चे जन्म लेते ही मर जाते हैं।