फुल कोर्ट मीटिंग तब बुलाई जाती है जब न्यायपालिका से जुड़े किसी जनहित के मुद्दे पर चर्चा करनी हो। आमतौर पर ऐसी बैठक का संयोजन सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश करते हैं। इस मीटिंग में सभी न्यायाधीश शिरकत करते हैं।
इससे पहले जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस मदन भीमराव लोकुर ने रोजाना होने वाली चाय पर चर्चा में भी उठाया था। इसके पहले जनवरी में चार जजों ने सुप्रीम कोर्ट की व्यवस्था से नाराज होकर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस भी की थी। इस कॉन्फ्रेंस में इन दो जजों के अलावा जस्टिस जे चेलमेश्वर और जस्टिस कुरियन जोसेफ भी शामिल थे। उन्होंने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट का प्रशासन ठीक तरह से काम नहीं कर रहा है और यदि संस्था को ठीक नहीं किया गया, तो लोकतंत्र खत्म हो जाएगा।
गौरतलब है कि कॉलेजियम के दो वरिष्ठ सदस्य एक हफ्ते पहले भी मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिख चुके हैं। तब उन्होंने न्यायपालिका को सरकार के हस्तक्षेप से बचाने के लिए मुख्य न्यायाधीश अन्य न्यायाधीशों को भी शामिल करें। यह चिट्ठी सबसे वरिष्ठ जज जस्टिस जे चेलमेश्वर ने लिखी थी।