हिंसा में बदला श्रीलंका का राजनीतिक संकट, तीन घायल अफानासीव के बताया कि- ‘भारत में ऐतिहासिक स्मारक, ऐतिहासिक स्थल, निर्मित धरोहरों के अलावा लोक संगीत, कलाएं, कपड़ा डिजायन, हस्तकला जैसी अनगिनत अमूर्त सांस्कृतिक विरासत हैं। जिनमें से अमूर्त सांस्कृतिक धरोहरों में से कुछ रोजाना गायब हो रही हैं। इससे ‘मुझे बहुत दुख’ होता है।‘ अफानासीव ने जानकारी दी कि ‘हम एक ऐसी परियोजना पर काम कर रहे हैं, जिसमें अमूर्त सांस्कृतिक धरोहरों की लिस्ट बनाई जाएगी। इसके बारे में विस्तृत जानकारी लेने के लिए इनसे जुड़े लोगों की मदद लेंगे।’
गौर हो, यूएन ने 24 अक्टूबर को अपने स्थापना दिवस पर यहां अपने ऐतिहासिक परिसर को भारत के सांस्कृतिक धरोहरों के प्रति समर्पित किया। बता दें, अब तक यूनेस्को की ‘मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासतों की प्रतिनिधि सूची’ में भारत की कुल 13 अस्पृश्य सांस्कृतिक धरोहरों को शामिल किया जा चुका है।
अमरीका में यहूदियों पर बड़ा हमला, शोक में आधे झुकाए गए झंडे उनमें कुंभ मेला, नवरोज, वैदिक मंत्रोच्चार, रामलीला, कुटियाट्टम, संस्कृत नाटक, रम्माण (गढ़वाल का धार्मिक त्यौहार), कालबेलिया (राजस्थान का लोकगायन और नृत्य) और छऊ नृत्य आदि शामिल हैं। अफानासीव के अनुसार- ‘किसी छोटे से शहर में कशीदाकारी करके साड़ियां बनाने की सामान्य परंपरा, देश के किसी कोने के किसी गांव में लोक संगीत, किसी की मां या दादी की ओर से तैयार की गई यूनीक रैसिपी आदि को इसमें लिया जाएगा। क्योंकि यह चीजें लगातार गायब हो रही हैं।’ उन्होंने बताया कि परियोजना की अवधि तकरीबन एक साल की होगी।