scriptसंयुक्त राष्ट्र ने ‘कुंभ’ और ‘रामलीला’ जैसी धरोहरों को बचाने के लिए बनाया प्लान | UN made plans to save heritage of 'Kumbha' and 'Ram Lila' | Patrika News

संयुक्त राष्ट्र ने ‘कुंभ’ और ‘रामलीला’ जैसी धरोहरों को बचाने के लिए बनाया प्लान

locationनई दिल्लीPublished: Oct 28, 2018 09:26:36 pm

Submitted by:

Navyavesh Navrahi

भारत में संयुक्त राष्ट्र के रेजिडेंट कोऑर्डिनेटर युरी अफानासीव के अनुसार- कई कलाएं दिन-ब-दिन गायब होती जा रही हैं।

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संयुक्त राष्ट्र ने ‘कुंभ’ और ‘रामलीला’ जैसी धरोहरों को बचाने के लिए बनाया प्लान

देश में गुम हो रही अमूर्त धरोहरों, कलाओं, शिल्पकलाओं व अन्य गुम हो रही विरासतों के प्रति संयुक्त राष्ट्र ने चिंता जताई है। इन्हें सहेजने और बचाने के लिए यूएन एक सूची तैयार कर रहा है। भारत में संयुक्त राष्ट्र के रेजिडेंट कोऑर्डिनेटर युरी अफानासीव के अनुसार- ‘इसके लिए विकी शैली की परियोजना’ तैयार की गई है, जिसमें विभिन्न पक्षों को शामिल कर ‘क्राउड सोर्सिंग’ से इसे पूरा किया जाना है।
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अफानासीव के बताया कि- ‘भारत में ऐतिहासिक स्मारक, ऐतिहासिक स्थल, निर्मित धरोहरों के अलावा लोक संगीत, कलाएं, कपड़ा डिजायन, हस्तकला जैसी अनगिनत अमूर्त सांस्कृतिक विरासत हैं। जिनमें से अमूर्त सांस्कृतिक धरोहरों में से कुछ रोजाना गायब हो रही हैं। इससे ‘मुझे बहुत दुख’ होता है।‘ अफानासीव ने जानकारी दी कि ‘हम एक ऐसी परियोजना पर काम कर रहे हैं, जिसमें अमूर्त सांस्कृतिक धरोहरों की लिस्ट बनाई जाएगी। इसके बारे में विस्तृत जानकारी लेने के लिए इनसे जुड़े लोगों की मदद लेंगे।’
गौर हो, यूएन ने 24 अक्टूबर को अपने स्थापना दिवस पर यहां अपने ऐतिहासिक परिसर को भारत के सांस्कृतिक धरोहरों के प्रति समर्पित किया। बता दें, अब तक यूनेस्को की ‘मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासतों की प्रतिनिधि सूची’ में भारत की कुल 13 अस्पृश्य सांस्कृतिक धरोहरों को शामिल किया जा चुका है।
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उनमें कुंभ मेला, नवरोज, वैदिक मंत्रोच्चार, रामलीला, कुटियाट्टम, संस्कृत नाटक, रम्माण (गढ़वाल का धार्मिक त्यौहार), कालबेलिया (राजस्थान का लोकगायन और नृत्य) और छऊ नृत्य आदि शामिल हैं। अफानासीव के अनुसार- ‘किसी छोटे से शहर में कशीदाकारी करके साड़ियां बनाने की सामान्य परंपरा, देश के किसी कोने के किसी गांव में लोक संगीत, किसी की मां या दादी की ओर से तैयार की गई यूनीक रैसिपी आदि को इसमें लिया जाएगा। क्योंकि यह चीजें लगातार गायब हो रही हैं।’ उन्होंने बताया कि परियोजना की अवधि तकरीबन एक साल की होगी।
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