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भारत-कनाडा पीएम में मुलाकात : इन बातों से जानें कैसे हैं दोनों देशों के आपसी रिश्ते

जस्टिन ट्रूडो से मुलाकात में पीएम मोदी ने अन्य मुद्दों के साथ ‘खालिस्तान’ के मामले पर भी इशारों-इशारों में अपनी बात कह दी।

Feb 23, 2018 / 03:09 pm

Navyavesh Navrahi

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो सात दिवसीय भारतीय दौरे पर हैं। इस दौरान वे यूपी, गुजरात और पंजाब समेत कई जगहों पर गए हैं। इसी बीच कनाडाई मीडिया की ओर से भारत में उन्हें नजरअंदाज करने की खबरें छाई रहीं। कहा गया कि भारत में उनका उस तरह से भव्य स्वागत नहीं किया गया, जिस तरह से उनसे पहले आए विदेश नेताओं का किया गया। दरअसल, जस्टिन ट्रूडो की कैबेनिट में खुले रूप से खालिस्तान को समर्थन देने वाले नेता हैं।
यह भी बातें सामने आती रही हैं कि पंजाब में अशांति फैलाने के लिए खालिस्तानी समर्थकों को कनाडा में बैठे लोग फंडिंग करते हैं। यही वजह है कि पिछले साल कनाडा के मंत्री हरजीत सिंह सज्जन से पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने मिलने से इनकार कर दिया था। जब ट्रूडो भारत पहुंचे तो क्यास लगाए जाने लगे कि कैप्टन ट्रूडो से मुलाकात नहीं करेंगे। इन्हीं खबरों को आधार बनाकर कनाडाई मीडिया में कहा गया कि ट्रूडो को भारत में नजरअदाज किया जा रहा है।
जस्टिन ट्रूडो और पीएम नरेंद्र मोदी में आज हुई मुलाकात में भी मोदी ने इशारों-इशारों में खालिस्तान के मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट कर दिया है। बैठक के बाद मोदी ने कहा है कि भारत की संप्रुभता और अखंडता को चुनौती देने वालों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में कहा कि- बंटवारों की खाई खोदने वालों के लिए कोई जगह नहीं है।’ इस दौरान अन्य कई मुद्दों पर भी सहमति बनी। आइए जानें, भारत और कनाडा के आपसी संबंधों पर एक नजर डालें…
भारत की जरूरतें पूरी कर सकता है कनाडा

कनाडा में भारतीय मुल के लगभग 12 लाख लोग रहते हैं। भारत और कनाडा में विदेशी नीति, व्यापार, निवेश, वित्त और ऊर्जा के मुद्दों पर कई मंत्रिस्तरीय बातचीत के माध्यम से रणनीतिक साझेदारी कायम की गई है। दोनों देशों के बीच आतंकवाद निरोध, सुरक्षा, कृषि और शिक्षा के क्षेत्र में भी सहयोग के प्रयास किए जा रहे हैं। इस मुलाकात में भी ऊर्जा की जरूरतों पर विस्तार से बात हुई है।
कनाडा को भेजे जाते हैं हीरे और दवाएं

वैश्विक व्यपार की बात करें, तो कनाडा के वैश्विक व्यापार में भारत का हिस्सा अभी महज 1.95 फीसदी ही है। भारत से कनाडा को हीरे-जवाहरात, दवएं, रेडीमेड कपड़ों, ऑर्गनिक रसायन, हल्के इंजीनियरिंग सामान, लोहे और स्टील का निर्यात किया जाता है। जबकि कनाडा से दालें, अखबारी कागज, वुड पल्प, लौह कबाड़, तांबा, एस्बेस्टस, पोटाश आदि धातुएं मंगवाई जाती हैं। खास बात यह है कि कनाडा अपनी दालें बेचने के लिए भारत को महत्वपूर्ण बाजार के तौर पर देखता है। 2016 में कनाडा के कुल दाल निर्यात का 27.5 फीसदी हिस्सा भारत में आया था।
भारतीय बाजार पर निर्भर है कनाडा की खेती

भारत और कनाडा के बीच साल 2010 में 3.21 अरब डॉलर के का व्यापार हुआ। साल 2016 में यह बढ़कर 6.05 हो गया, जो करीब दोगुने के बराबर है। इसी तरह कनाडा में साल 2016 में भारत से 209.35 करोड़ डॉलर का एफडीआई गया था। इसी दौरान कनाडा से भारत में 90.11 करोड़ डॉलर का एफडीआई आया। बता दें, नवंबर 2017 भारत ने पीली दाल के आयात पर रोक लगाने के लिए इस पर 50 फीसदी टैरिफ बढ़ा दिया था। इससे कनाडा के किसानों को काफी नुकसान झेलना पड़ा था। किसानों को यह दाल कम कीमत पर पाकिस्तान को बेचनी पड़ी थी।
कनाडा की खेती काफी हद तक भारतीय बाजार पर निर्भर करती है। इस दाल का इस्तेमाल बेसन बनाने के लिए किया जाता है। इस मुलाकात में इस मुद्दे पर भी बाचतीत हो सकती है। उल्लेखनीय है कि पीएम मोदी पहले भारतीय ऐसे प्रधानमंत्री हैं, जिन्होंने 1973 के बाद अलग से कनाडा का दौरा किया। मोदी 2015 में कनाडा गए थे। हालांकि इससे पहले पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह भी कनाडा गए थे, लेकिन वे वहा जी-20 समिट में शामिल होने के लिए गए थे।
 

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