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समान नागरिक संहिता किसी भी कीमत पर स्वीकार्य नहीं : एआईएमपीएलबी

Published: Oct 15, 2016 10:41:00 pm

एआईएमपीएलबी के नेता ने कहा कि भारत में मुसलमान देश के सभी कानूनों का आदर
व पालन करते हैं, लेकिन वह अपने व्यक्तिगत कानूनों में कोई हस्तक्षेप
बर्दाश्त नहीं करेंगे

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नई दिल्ली। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने समान नागरिक संहिता का विरोध करते हुए शनिवार को कहा कि मुसलमानों को यह किसी भी कीमत पर स्वीकार्य नहीं है। समान नागरिक संहित तथा तीन तलाक मुद्दे पर चर्चा के लिए राष्ट्रीय राजधानी में गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) पीस फाउंडेशन द्वारा आयोजित एक सम्मेलन में एआईएमपीएलबी के महासचिव मौलाना वली रहमानी ने कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ दैवीय कानून पर आधारित है और इसलिए इसमें बदलाव नहीं किया जा सकता।

उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय को तीन तलाक की समग्रता पर विचार करना चाहिए। वर्तमान में सर्वोच्च न्यायालय इस मुद्दे पर तीन याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है। रहमानी ने कहा, सुप्रीम कोर्ट किसी भी मुद्दे पर हस्तक्षेप कर सकता है। लेकिन हमारा आग्रह है कि तीन तलाक के मुद्दे पर वह इसकी समग्रता (केवल महिला अधिकार के आधार पर नहीं) पर विचार करे।

एआईएमपीएलबी के नेता ने कहा कि भारत में मुसलमान देश के सभी कानूनों का आदर व पालन करते हैं, लेकिन वह अपने व्यक्तिगत कानूनों में कोई हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं करेंगे। उन्होंने कहा, मुसलमान अपने धार्मिक मामलों व कानूनों पर किसी भी तरह का हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं।

रहमानी ने कहा, देश के अधिकांश लोग अमन पसंद हैं। लेकिन कुछ मुट्ठी भर लोग समुदायों के बीच दरार पैदा करना चाहते हैं और इसे बांटने के लिए नई योजना बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि एआईएमपीएलबी समान नागरिक संहिता के खतरों से लोगों को अवगत कराने के लिए एक जागरूकता अभियान चला रहा है।

बीते सात अक्टूबर को विधि आयोग ने समान नागरिक संहिता पर लोगों की राय जानने के लिए अपनी वेबसाइट पर 16 सवालों की एक प्रश्नावली जारी की थी। देश के कई मुस्लिम संगठनों ने सरकार के इस कदम का विरोध किया है और मुसलमानों से इस प्रश्नावली पर कोई प्रतिक्रिया न व्यक्त कर इसका विरोध करने की अपील की है। समान नागरिक संहिता के आने से देश के सभी धार्मिक समुदायों के पर्सनल लॉ की जगह एक कानून ले लेगा जो देश के हर नागरिक पर लागू होगा।
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